Nirvana of Infotainment
वसंत.. सिर्फ एक ऋतु नहीं, मनुष्यता की एक डिग्री है, इसकी भी कोई प्रवेश परीक्षा होगी
कभी सोचा है ? फ़ोन का कैमरा ही इस दौर का आईना है
असली धन दौलत क्या है? इस पर 1000 शब्द का निबंध लिखने के बजाए, ये तस्वीर खींच ली
हर करेंसी नोट पर छपे हुए गांधी जी हंस रहे हैं.. इसके 11 कारण आप ख़ुद ही देखिए और समझिए
बार बार नया होना ही, बड़ा होना है
मन के बादल में कुछ मुस्कुराहटें Upload की हैं
नुकीले त्रिकोणों की भीड़ में, एक वृत्त का उदय, सुबह
‘अ-सफलता’ का ‘अ’ एक अनुभव
वो ऊपर रूई के फाहे, मानो दैनिक ज़ख्मों को सहला रहे हों
दिल्ली से 200 किलोमीटर दूर गए, दूरबीन लगाई, चाँद-सितारे अपनी आँखों में और कैमरे में उतारे
तुम तक हल्के हाथों से खींची है एक लकीर मैंने…जो बीच बीच में अधूरी छूट गई है
कुछ भी पूरा नहीं होता, हर वक़्त हम किसी अधूरे के मध्य में होते हैं, छोटे छोटे कदम, बड़ी यात्रा, यही सबका क़िस्सा है
बड़ा आदमी, बड़ी इमारत, बड़ा मकसद… इनके छिपने की गुंजाइश कम होती है
मैसेज हिस्ट्री सहेजने के लिए ‘forever’ का विकल्प है… पर किसी करीबी इंसान की ज़िंदगी सहेजने के लिए ऐसा कोई विकल्प नहीं… इसलिए जो है, जितना है, सहेज लीजिए
प्राणवायु भी एक लकीर है, जिसे पकड़कर सब झूल रहे हैं..
जगह जगह से सड़ती-गलती दुनिया को रहने लायक बना देते हैं.. आप सब आर्टिस्ट हैं.. सृष्टि के रचयिता…