रेल का इंजन और प्रतीक्षा

रेल के इंजन से टकराना नहीं चाहिए… आवेश शत्रु को घायल नहीं करता… जबकि प्रतीक्षा पहाड़ों को भी झुका देती है….. इसीलिए प्रतीक्षा सबसे बड़ा अस्त्र होती है… प्रतीक्षा के बाद आप ये देखते हैं कि रेल का इंजन अपनी पटरी से बंधा है, उसी पर चलने को विवश है.. और आप स्वच्छंद हैं