SidTree

SidTree

Nirvana of Infotainment

  • Home
  • Creations
    • Air Talks
    • Poems
    • All Writings
  • Writing Projects
    • Anti Social
    • HumSafar
    • Camera
    • Virus
    • W-Energy
    • Love
    • Riot
  • AboutKnow me via Mindmap
  • Twitter
  • Photo Fossils in Cloud : बादलों में तस्वीरों के जीवाश्म

    Photo Fossils in Cloud : बादलों में तस्वीरों के जीवाश्म

    Google / Apple वाले दौर में Cloud वाली चेतना, फोटो वाले अवशेष

  • WordLess : चुपचाप

    WordLess : चुपचाप

    कई बार.. कुछ डूब जाने दिया जाता है.. हो जाने दिया जाता है..
हामी में.. रज़ामंदी में.. मौन में.. बहुत ढूँढो तो भी नहीं मिलता विष… टेस्ट नेगेटिव आता है.. फिर मस्त घूमते हैं… सबके सब… हम सब…

  • GIGO : कूड़ा in.. कूड़ा out !

    GIGO : कूड़ा in.. कूड़ा out !

    कूड़ा पारदर्शी है.. उसमें गवाही होती है व्यक्तित्व के छिलकों की.. हर व्यक्ति का, हर घर का, हर व्यवस्था का कूड़ा अलग तरह का होता है.. दबे हुए राज़ खोल देता है

  • सच्चा Microphone 2 🎙 आप संज्ञा हैं या क्रिया ?

    सच्चा Microphone 2 🎙  आप संज्ञा हैं या क्रिया ?

    सच्चा माइक्रोफोन.. रिकॉर्ड करता है.. उन लम्हों को.. जो अकेले पड़े रहते हैं.. किसी की नज़र में नहीं आते…. घटनाओं के शोर से दबी… कैंची से कटी आवाज़ें भी.. सच्चे माइक्रोफ़ोन से बच नहीं पातीं

  • सच्चा Microphone 1 🎙 कैंची से कटी आवाज़ें

    सच्चा Microphone 1 🎙  कैंची से कटी आवाज़ें

    सच्चा माइक्रोफोन.. रिकॉर्ड करता है.. उन लम्हों को.. जो अकेले पड़े रहते हैं.. किसी की नज़र में नहीं आते…. घटनाओं के शोर से दबी… कैंची से कटी आवाज़ें भी.. सच्चे माइक्रोफ़ोन से बच नहीं पातीं

  • Recipe of Blood & Data : खून और आँकड़ों की ‘पाकविधि’

    Recipe of Blood & Data : खून और आँकड़ों की ‘पाकविधि’

    दवाओं और राजव्यवस्थाओं की मारक क्षमता छुपाने से लेकर विज्ञान और डर के नये नये बाज़ार बनाने तक, आंकड़ों का सामाजिक महाप्रयोग चल रहा है। आंकड़ों की बैसाखी दुनिया भर के लोगों को थमा दी गई है। और जिसके हाथ में बैसाखी हो, वो नारे नहीं लगा सकता, आवाज़ नहीं उठा सकता, आंकड़ों पर लगा ख़ून साफ़ नहीं कर सकता।

  • Journey : यात्रा

    Journey : यात्रा

    सीढ़ी अफ़सोस नहीं करती.. सीढ़ी अनंत यात्राएँ करती है.. ऊपर से गुज़रते हर कदम के साथ !

  • Half Burnt Notebook : आधी जली हुई नोटबुक

    Half Burnt Notebook : आधी जली हुई नोटबुक

    हिंसा में आंसू तो होते हैं.. पर कई बार गहरा कटाक्ष भी होता है.. संताप होता है और क्रूरता का समारोह भी होता है.. संवेदनाओं की राख पर एक आधी जली नोटबुक मिली है.. इसके कई पन्ने जले हुए हैं.. जितनी बची है..उतने से काम चलाना होगा.. जिसकी भी हो.. आकर नज़दीकी थाने से ले […]

  • Intoxication : ज़हर लिखा है.. खूब बिका है

    Intoxication : ज़हर लिखा है.. खूब बिका है

    ज़हर आजकल चलन में है, बिक रहा है.. और सफल होने का सिद्ध फ़ॉर्मूला भी है। अगर आप ज़हर उगलते हैं, ज़हर लिखते हैं, ज़हर के व्यापारी हैं, ज़हर को चटपटे फ़्लेवर में बेचने वाले दबंग दुकानदार हैं.. तो लोग आपको पहचानने लगेंगे..

  • Poetic Parade : गणतंत्र दिवस की काव्य परेड

    Poetic Parade : गणतंत्र दिवस की काव्य परेड

    गणतंत्र को देखने के कई तरीक़े हैं.. कई लेंस हैं.. कई फ़िल्टर हैं.. 1950 में गणतंत्र दिवस कैसे मनाया गया था ? इस संदर्भ में British Pathe का पौने चार मिनट का एक वीडियो मिला। इसमें दरबार हॉल में ली गई शपथ से लेकर.. उस जगह तक की तस्वीरें हैं जहां गणतंत्र दिवस समारोह हुआ […]

  • Blue Sky : मेरे हिस्से का नीला आसमान

    Blue Sky : मेरे हिस्से का नीला आसमान

    नीला आसमान मिला था मुझे पूरे की ज़िद नहीं की अपने हिस्से का एक टुकड़ा रख लिया ♥️ © Siddharth Tripathi ✍️ SidTree

  • Chai-चरित्र ☕️ (a Tea-nalysis)… एक चाय हो जाए !

    Chai-चरित्र ☕️ (a Tea-nalysis)… एक चाय हो जाए !

    चाय की प्यालियों के बीच वक़्त कैसे उधड़ता है.. चाय के घूँट इंसान को कैसे सहलाते हैं.. आज़ादी दिलाने वाले सवालों से चाय पर मुलाक़ात कैसे होती है ?… जब अंगारे आराम फ़रमाते हैं तो चाय पिलाना कैसे चाटुकारिता और जी हुज़ूरी बन जाता है.. और चाय में एक चम्मच चीनी घोलते हुए.. किस तरह का अध्यात्म दिखाई देता है ? …Read more…

  • Truth is forever ? 👨🏻‍💻 सच नहीं है सदा के लिए

    Truth is forever ? 👨🏻‍💻 सच नहीं है सदा के लिए

    हम सोचते रहते हैं कि जो सत्य है वो हमेशा हमेशा के लिए है, लेकिन इस दौर में लोग सत्य का स्थान परिवर्तन करवा देते हैं, उसकी दिशा बदल देते हैं… और फिर सुकुमार सा सच, झूठ के साथ चाय पकौड़ी करता नज़र आता है !

  • Low Power Mode of Humans : इंसान बिजली से नहीं चलते

    Low Power Mode of Humans : इंसान बिजली से नहीं चलते

    इस दौर में हर इंसान पूरी तरह भरा हुआ है, उसके अंतर्मन में या जीवन में किसी और के लिए कोई जगह नहीं है। पहले लोग टकराते थे तो एक दूसरे में छलक पड़ते थे, लेकिन अब किसी दूसरे को सहने या समाहित करने का माद्दा लगभग ख़त्म हो गया है। आने वाले दौर में, […]

  • Peak Zero : शिखर-शून्य

    Peak Zero : शिखर-शून्य

    Peak makes you speak  a Language not so deep Intoxication is what mind seek 
you’ve everything but can you keep ? Fear sees through the keyhole peek like a criminal driving fast in the jeep Zeroes are deep Zeroes are deep

  • A Silent Room Burns 🔥 ख़ामोश कमरा जलता है

    A Silent Room Burns 🔥 ख़ामोश कमरा जलता है

    ये कविता 12 साल पुरानी है, इसमें एक ख़ामोश कमरा है, जो किसी किताब की तरह सारे लम्हों को अपने अंदर समेटे हुए है। ये भी कह सकते हैं कि जिस कमरे की मैं बात कर रहा हूं वो एक किताब है, जिसके 6 पन्ने हैं, चार दीवारों को चार पन्नों के बराबर मान लीजिए.. […]

  • मेरे दोस्त, मेरा अंधेरा पी गये : 7 Dimensions of Friendship

    मेरे दोस्त, मेरा अंधेरा पी गये : 7 Dimensions of Friendship

    मुठ्ठी खोलते ही दोस्ती की सल्तनत शुरू हो जाती है। दोस्ती में अदृश्य सिहरन है, उपासना है, रोशनी की लकीर है, किसी का बोझ उठाने वाली ताकत है, राज़ को रखने वाली तिजोरी है, और वो अंधेरा भी जिसमें सारी महत्वाकांक्षाएं, स्वार्थ और आत्मा पर चिपके कालिख के कण धुल जाते हैं…….

  • ख़ुद को लिखी चिठ्ठियां : Letters soaked in Pain

    ख़ुद को लिखी चिठ्ठियां : Letters soaked in Pain

    This poem is about Letters which we write to ourselves : ideal for weekly soul washing, Sunday = Kavi-Day

  • Touch Screen : उँगलियों को सुन्न करने वाला काँच

    Touch Screen : उँगलियों को सुन्न करने वाला काँच

    क्या मैं आपका चेहरा छूकर देख सकती हूँ ? एक नेत्रहीन लड़की को एक मशहूर आदमी से ये सवाल पूछते हुए देखा, और उसी पल मन में आया कि छूकर देखना क्या होता है? क्या छूकर किसी को देखा जा सकता है?जब आँखें नहीं होतीं, तो देखने का काम दूसरे अंगों/इंद्रियों को करना होता है। […]

  • प्रश्न❓Poetry : प्रश्नों को प्रक्षेपित करने वाला एक विचार और 10 कविताएँ

    प्रश्न❓Poetry : प्रश्नों को प्रक्षेपित करने वाला एक विचार और 10 कविताएँ

    प्रश्नों का चरित्र भी अजीब होता है, वो तभी आते हैं जब आप थोड़ा धीमे हो जाते हैं, थोड़ा सा ठहर जाते हैं। इस दौर में ठहराव को मृत्यु के समान माना जाता है। ठहराव से हर कोई डरा-डरा सा लगता है और जीवन में हर वक़्त व्यस्त रहने को ही ईश्वर की कृपा माना […]

1 2 3 4
Next Page→
  • Twitter
  • Facebook
  • Instagram
  • Telegram
  • Mail

© Siddharth Tripathi ✍️ www.SidTree.co

 

Loading Comments...