Better Half – हमसफ़र – 1

हमसफ़र श्रृंखला के तहत दो कविताएं लिखी हैं। इनमें जीवनसाथी के होने का बोध है और उसके ना होने पर देर तक रहने वाली अगरबत्ती जैसी खुशबू भी।

Footprints of Better Half on your Life

तुम वही हो
जो मेरे ज़ेहन की अंगुली पकड़ के
मुझे ख़्वाबों में ले जाती हो
लम्हा दर लम्हा तुम्हारे ख्यालों के साथ
पिघलता हूं मैं

कंप्यूटर पर बैठो
तो बाहों का हार खींचता है
खाना खाता हूं
तो तुम्हारा मातृत्व सींचता है

कभी शतरंज के खानों पर लड़ते
तुम्हारे हाथ की बनी
गर्म चाय के घूंट उतारते

तो कभी एक-दूजे पर
बेफ़िक्र पड़े हम
फिल्म देखते, किताब पढ़ते
या यूं ही बतियाते

पता नहीं ये एक ख़्वाब है
या ख़्वाबों का सिलसिला
जो भी है
तुमसे है…

तुम्हारा होना
अब एक ख़्वाब हो गया है
जो समुद्र की तरह चारों तरफ नज़र आता है
किसी आराम कुर्सी पर हिचकोले लेता हुआ


Click करके हमसफ़र-2 पढ़िये


© Siddharth Tripathi  ✍SidTree
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