-
है ख़बर गर्म… Breaking News
Taken from bilingual poem collection ‘Poetic Buddha’ by Siddharth झुकी-बुझी भीगी-थकी नज़रें हैं और हैं अंगारों से सवाल जवाब नहीं मिलता तो क्या है वो भूख से बिलखता है कॉपी पर चलाता नहीं फैलाता है हाथ तो क्या है गिरे हुए को उठाने की भटके को आईना दिखाने की फुरसत कहां है ‘बिक’नी हसीना की…