मैसेज हिस्ट्री सहेजने के लिए ‘forever’ का विकल्प है… पर किसी करीबी इंसान की ज़िंदगी सहेजने के लिए ऐसा कोई विकल्प नहीं… इसलिए जो है, जितना है, सहेज लीजिए
किसी पुराने इलाके की तंग गलियों में जाकर ऊपर देखिए जीवन का narrow angle view मिलेगा। भारत में अधिकांश लोग इन मोहल्लों में रहते हैं। यहां किसी पर आसमान टूटकर नहीं गिरता.. क्योंकि बीच में उलझी हुई तारें हैं.. यहां हर मुसीबत छोटी है.. साझे संघर्ष बड़े हैं, सबका आसमान उलझी तारों पर टिका है
कूड़ा पारदर्शी है.. उसमें गवाही होती है व्यक्तित्व के छिलकों की.. हर व्यक्ति का, हर घर का, हर व्यवस्था का कूड़ा अलग तरह का होता है.. दबे हुए राज़ खोल देता है
सच्चा माइक्रोफोन.. रिकॉर्ड करता है.. उन लम्हों को.. जो अकेले पड़े रहते हैं.. किसी की नज़र में नहीं आते…. घटनाओं के शोर से दबी… कैंची से कटी आवाज़ें भी.. सच्चे माइक्रोफ़ोन से बच नहीं पातीं
सच्चा माइक्रोफोन.. रिकॉर्ड करता है.. उन लम्हों को.. जो अकेले पड़े रहते हैं.. किसी की नज़र में नहीं आते…. घटनाओं के शोर से दबी… कैंची से कटी आवाज़ें भी.. सच्चे माइक्रोफ़ोन से बच नहीं पातीं
आश्चर्य है कि हाहाकार के बीच विज्ञापन, बैठकों में विमर्श और मॉरल साइंस से इलाज संभव है !! वैसे पॉज़िटिव रहने से बगल में पड़ी लाशें दिखती हैं या नहीं इस पर रिसर्च जारी है.. लेकिन इतना तय है कि सकारात्मकता और मर्यादा की फैक्ट्रियों में गज़ब उत्पादन चल रहा है!
किसी अपने को एक एक सांस के लिए तरसते देखकर… सारे कीर्तिमान… लड़ाई-झगड़े… व्यर्थ नज़र आते हैं… इस वक्त मृत्यु का बोध.. ये बता रहा है.. कि आसपास हर ज़िंदा कृति को.. अपनेपन की ऑक्सीजन की ज़रूरत है.. उन्हें ये ऑक्सीजन देते चलिए…
विक्रम संवत 2078 आज से शुरू हुआ है… ये सामान्य (ग्रेगोरियन) कैलेंडर से करीब 57 साल आगे चलता है विक्रम या कोई भी संवत्सर जब सामने आते हैं तो मेरी इच्छा होती है कि आपसे शेयर करू कि संवत्सर चलाने का हक़ किसे था