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  • Spring Saraswati : वो मौसम जो खुद वाग्देवी सरस्वती ने लिखा

    Spring Saraswati : वो मौसम जो खुद वाग्देवी सरस्वती ने लिखा

    आसमान ने हीरे की अंगूठी पहनी है दिलों की बर्फ़ पिघल रही है जमी हुई चेतना पंख फड़फड़ा रही है हर कोई ठंडे घरों से बाहर निकलना या झाँकना चाहता है सूर्य की इन किरणों में प्रेम की अनुभूति है क्या वाग्देवी सरस्वती ने खुद ये मौसम लिखा है ? ज़रूर उन्होंने ही लिखा होगा, […]

  • Poetic Parade : गणतंत्र दिवस की काव्य परेड

    Poetic Parade : गणतंत्र दिवस की काव्य परेड

    गणतंत्र को देखने के कई तरीक़े हैं.. कई लेंस हैं.. कई फ़िल्टर हैं.. 1950 में गणतंत्र दिवस कैसे मनाया गया था ? इस संदर्भ में British Pathe का पौने चार मिनट का एक वीडियो मिला। इसमें दरबार हॉल में ली गई शपथ से लेकर.. उस जगह तक की तस्वीरें हैं जहां गणतंत्र दिवस समारोह हुआ […]

  • Sunflowers : सौर किरणों के शक्ति पुष्प

    Sunflowers : सौर किरणों के शक्ति पुष्प

    रविवार को सूर्य से ऐसी किरणें निकलती हैं जो आपको आलसी…बहुत आलसी बना देती हैं। ये वैज्ञानिक तथ्य नहीं है, ये रविवार को सूर्य और छुट्टी का दिन मानने के फलस्वरूप उपजा अनुभव है। ये सूर्य की सुनहरी लकीरों का गणित है जिसे सिर्फ मैं और तुम समझते हैं

  • Seething Society : खौलता हुआ समाज

    Seething Society : खौलता हुआ समाज

    ये आंदोलन वाली चिंगारियाँ हैं, ध्वनियां हैं.. या याचिकाएँ हैं.. ये फ़ैसला आपकी भावनाओं पर छोड़ता हूँ.. लेकिन इतना ज़रूर है कि इन्हें एक काव्यात्मक रिपोर्टाज की तरह देखा जा सकता है.. इन कविताओं का रास्ता, स्निग्ध.. धूप पीते शरीरों की तरह अवरोध-मुक्त नहीं है.. ये थोड़ा ऊबड़खाबड़ है.. इसलिए असुविधा के लिए खेद है.. आगे कवि काम पर है.. इस छोटे से प्रोजेक्ट का विस्तार भी लगातार होता रहेगा। संकेतों को समझें तो इस राह में एक ध्वनि है.. फिर उसकी प्रतिध्वनि है, इसके बाद अंतर्ध्वनि है, फिर कंपन है और अंत में ध्वनि विस्तार है जिसे अंग्रेज़ी में Amplification of Sound भी कहते हैं।

  • i-Transform : संज्ञा से क्रिया तक

    i-Transform : संज्ञा से क्रिया तक

    ये दौर संज्ञाओं का है.. जिन्हें जड़ होने के बावजूद विशालता का प्रतिरूप मान लिया गया है.. जबकि क्रिया को नौकर-चाकर के भाव से देखा जाता है.. जब कोई पैदा होता है तो नामकरण के साथ वो संज्ञा तो हो ही जाता है.. लेकिन विशुद्ध क्रिया होना.. जीवन के गूढ़ अर्थों का मान रखना है

  • Theatrics of Knowledge 🎭 ज्ञान का अभिनय

    Theatrics of Knowledge 🎭 ज्ञान का अभिनय

    जहां अभिनय है, वहां ज्ञान सिर्फ़ एक दर्शक बनकर.. बस थोड़ी देर के लिए बैठ सकता है! . . जब शहर में आग लगी हुई थी.. वो चुप था.. उसकी अंतरात्मा पर बीस सेंटीमीटर की बर्फ़ गिरी हुई थी

  • Chai-चरित्र ☕️ (a Tea-nalysis)… एक चाय हो जाए !

    Chai-चरित्र ☕️ (a Tea-nalysis)… एक चाय हो जाए !

    चाय की प्यालियों के बीच वक़्त कैसे उधड़ता है.. चाय के घूँट इंसान को कैसे सहलाते हैं.. आज़ादी दिलाने वाले सवालों से चाय पर मुलाक़ात कैसे होती है ?… जब अंगारे आराम फ़रमाते हैं तो चाय पिलाना कैसे चाटुकारिता और जी हुज़ूरी बन जाता है.. और चाय में एक चम्मच चीनी घोलते हुए.. किस तरह का अध्यात्म दिखाई देता है ? …Read more…

  • Crunchy Democracy : कुरकुरा लोकतंत्र

    Crunchy Democracy : कुरकुरा लोकतंत्र

    राजपुरुष(या स्त्री)… फिर चाहे वे किसी भी सत्ता में क्यों न हों.. उन्हें लोकतंत्र को चबाने में बड़ा स्वाद आता है… घर.. दफ़्तर.. देश… दुनिया… हर जगह यही समीकरण है

  • The Hum-सफ़र Project |👫| तुम्हारे साम्राज्य में मेरी आराम कुर्सी

    The Hum-सफ़र Project |👫| तुम्हारे साम्राज्य में मेरी आराम कुर्सी

    उसने कहा – क्या अब भी तुम्हें मेरे ख़्वाब आते हैं ?   उसके हमसफ़र ने कहा – तुम वही हो जो मेरे ज़ेहन की अंगुली पकड़ के मुझे ख़्वाबों में ले जाती हो लम्हा दर लम्हा तुम्हारे ख्यालों के साथ पिघलता हूं मैं कंप्यूटर पर बैठो तो बाहों का हार खींचता है खाना खाता […]

  • The Hum-सफ़र Project |👫| प्यार बढ़ता है एक दूसरे का जूठा पीने से

    The Hum-सफ़र Project |👫| प्यार बढ़ता है एक दूसरे का जूठा पीने से

    नाम थोड़ा अंग्रेज़ी टाइप है.. लेकिन मायने ख़ालिस देसी हैं.. The Hum-Safar Project का अर्थ ये है कि हम सफ़र पर हैं… और इस सफ़र में हर दूसरे मोड़ पर संवाद के टुकड़े हैं.. इनमें नायक नायिका के प्रतीकों को किसी भी कोण से देखा जा सकता.. कोई भी संवाद पुरुष और स्त्री दोनों का […]

  • Truth is forever ? 👨🏻‍💻 सच नहीं है सदा के लिए

    Truth is forever ? 👨🏻‍💻 सच नहीं है सदा के लिए

    हम सोचते रहते हैं कि जो सत्य है वो हमेशा हमेशा के लिए है, लेकिन इस दौर में लोग सत्य का स्थान परिवर्तन करवा देते हैं, उसकी दिशा बदल देते हैं… और फिर सुकुमार सा सच, झूठ के साथ चाय पकौड़ी करता नज़र आता है !

  • Escalators : स्वचालित सीढ़ियाँ

    Escalators : स्वचालित सीढ़ियाँ

    ‪स्वचालित सीढ़ियाँ सिर्फ एक सुविधा मात्र नहीं हैं… ‬ इनमें श्रम का समर्थन मूल्य तय करने वाला एक सामाजिक कटाक्ष भी दिखाई देता है‬। एक तरफ‬ ‪सीढ़ियाँ हाँफ कर चढ़ने वाले लोग हैं.. ‬ ‪दूसरी तरफ ‬‪पराए श्रम पर स्वचालित यात्राएं करने वाला वर्ग‬ सीढ़ी खुद ब खुद चढ़ रही हो और यात्री हो ठहरा हुआ एक बिंदु पर […]

  • Diwali Preparations : दीवाली की तैयारी

    Diwali Preparations : दीवाली की तैयारी

    ये दीवाली की तैयारी से जुड़े छोटे छोटे काव्यात्मक टुकड़े हैं। उम्मीद है आप इनसे खुद को जोड़ पाएंगे White wash : पुताई हर साल पुताई होती है और छोटी छोटी निशानियाँ किसी रंग के नीचे दफ़्न हो जाती है इस बार दीवाली पर अपने मन की पुताई करवानी है Maid : कामवाली उस कामवाली […]

  • Low Power Mode of Humans : इंसान बिजली से नहीं चलते

    Low Power Mode of Humans : इंसान बिजली से नहीं चलते

    इस दौर में हर इंसान पूरी तरह भरा हुआ है, उसके अंतर्मन में या जीवन में किसी और के लिए कोई जगह नहीं है। पहले लोग टकराते थे तो एक दूसरे में छलक पड़ते थे, लेकिन अब किसी दूसरे को सहने या समाहित करने का माद्दा लगभग ख़त्म हो गया है। आने वाले दौर में, […]

  • Mind Games of Ravana : मन में रावण पार्टी कर रहा है !

    Mind Games of Ravana  : मन में रावण पार्टी कर रहा है !

    इस दौर में रावण देखने के लिए कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है, रावण आपके आसपास है, हो सकता है आपके मन के अंदर भी कोई रावण, पार्टी कर रहा हो ! उसके अट्टहास को सुनिए.. वो कहेगा कि ‘पार्टी यूँ ही चालेगी’.. लेकिन आप उसके घमंड का समारोह जब चाहे बंद कर सकते हैं। रावण के सॉफ्टवेयर में त्रुटियां हैं और इन त्रुटियों को दूर करने के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट की ज़रूरत है.. यानी राम और रावण के बीच सिर्फ एक सॉफ्टवेयर अपडेट का फर्क है !

  • Cold Blooded Species : ठंडे खून वाली प्रजातियां !

    Cold Blooded Species : ठंडे खून वाली प्रजातियां !

    ये चार कविताओं का एक फोल्डर है ‘Master’-Key : चाबी व्यवस्था के पास है Road Roller : सावधान, आदमी काम पर हैं Spine : रीढ़ की हड्डी Questions : प्रश्न एक लाइन में कहूं तो… रोडरोलर में एक चाबी लगाई गई, और कुचल डाला गया रीढ़ की हड्डी को… ये एक लाइन इन 4 कविताओं […]

  • Peak Zero : शिखर-शून्य

    Peak Zero : शिखर-शून्य

    Peak makes you speak  a Language not so deep Intoxication is what mind seek 
you’ve everything but can you keep ? Fear sees through the keyhole peek like a criminal driving fast in the jeep Zeroes are deep Zeroes are deep

  • A Silent Room Burns 🔥 ख़ामोश कमरा जलता है

    A Silent Room Burns 🔥 ख़ामोश कमरा जलता है

    ये कविता 12 साल पुरानी है, इसमें एक ख़ामोश कमरा है, जो किसी किताब की तरह सारे लम्हों को अपने अंदर समेटे हुए है। ये भी कह सकते हैं कि जिस कमरे की मैं बात कर रहा हूं वो एक किताब है, जिसके 6 पन्ने हैं, चार दीवारों को चार पन्नों के बराबर मान लीजिए.. […]

  • Atmosphere : माहौल

    Atmosphere : माहौल

    अक्सर माहौल की बात होती रहती है। माहौल ठीक है / नहीं है / पहले ऐसा नहीं था / अब वो बात नहीं रही / जो चाहते थे वो क्यों नहीं हुआ ?… तर्क और भूख पर आधारित इन अनुभूतियों के बीच हम भूल जाते हैं कि माहौल बनाने की चिंगारी.. हमारे अंदर है। हमारे […]

  • Wound : रोशनदान

    Wound : रोशनदान

    खरोंच लगते ही ख़ून बाहर आता है या रोशनी ? क्या घावों में रोशनदान जैसा भी कुछ होता है? सरल से दिखने वाले इस सवाल का जवाब सूफ़ी शिक्षाओं में छिपा हुआ है। ये तस्वीर मैंने इस बारे में सोचते हुए ही ली.. इसे देखिए, कविता पढ़िए..  और दरवेश टाइप फ़ील कीजिए… और हाँ.. गोल घूमने […]

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© Siddharth Tripathi ✍️ www.SidTree.co

 

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