इस विचार को मन के मर्तबान में डाला.. धूप में रख दिया.. फिर जो बना.. वो ये रहा.. थर्मोकोल, कांच, लकड़ी, मिट्टीअन्याय, हिक़ारत, ठंडा लहू , खौलते हुए तानेसब पचा लेते हैंकुछ लोगों की भूख हर चीज़ को गला देती है अभावों मेंबढ़ जाती है पाचन शक्तिसंपन्नता अपने साथपाचन की गोलियाँ लेकर आती है