Typewriter और क़ीमती उँगलियाँ

तस्वीर देखी आपने ? कुछ समझे ?
इस तस्वीर में एक ख़ास बात है जो एकदम से पकड़ में नहीं आएगी।
ये Typewriter Portrait सन् 1908 से 1910 के बीच का है। इसे पूरी तरह टाइपराइटर से टाइप करके बनाया गया था।
सोच रहा हूं कि जिस आदमी ने इसे रचा वो कितना सिद्धस्त होगा और उसके पास कितना ख़ाली समय रहा होगा

वैसे एक बात पूछूँ आपसे ? क्या आपकी कोई Keyboard यात्रा है ?
मेरी तो है और ये यात्रा Key Layout और तेज़ टाइपिंग की कसौटी से जुड़ी है

आज जो QWERTY keyboard layout हम इस्तेमाल करते हैं, उसे पुराने Typewriter पर टाइप करने वाले की स्पीड कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया था ताकि Mechanical टाइपराइटर्स की Keys जाम न हों और विरोधाभास ये है कि आज इसी QWERTY Layout पर तेज़ टाइप करना एक कसौटी है 😂

दुनिया की आख़िरी typewriter factory जो कि मुंबई में थी वो 2011 में बंद हो गई थी, लेकिन कंप्यूटर Keyboard की नई नई पीढ़ियां आती रहीं.. और कम समय में बड़े बदलाव देखने और पचाने वाली हमारी पीढ़ी के लोगों की उंगलियां, तमाम Keyboards से गुज़रती रहीं

आज keyboard का आकार ज़रा सा बदल जाए तो बहुत दिक्कत होती है, उंगलियां रास्ता भूल जाती हैं, जिस घर जाना होता है, उसके बगल वाले घर में घुस जाती हैं, फिर कई दिन बाद आदत पड़ती है

मुझे याद है दो दशक से भी पुराना वो दौर जब मुझे टाइप करना नहीं आता था, और ज़रा सा कुछ लिखने में पूरा दिन लग जाता था। तब हिंदी टाइपिंग सीखना एक आवश्यक योग्यता थी और हमारे लिए धीरे धीरे टाइप करते हुए एक पेज लिखना भी पहाड़ चढ़ने जैसा होता था, खैर ये भाव तो हर नये काम में होता है।तब मैं सबको हैरान होकर देखता और सोचता कि कब मैं भी इस तरह टाइप कर सकूंगा। तब दुनिया के सभी तेज़ टाइपिस्ट मुझे सुपरहीरो जैसे लगते थे। एक ऐसे ही सुपरहीरो इतवार को हमारे घर भी आते थे कंटेंट टाइप करने, उन्हें हम आज भी भैया कहते हैं। हम बोलते थे, वो लिखते थे। उन्हें देखकर मन करता था कि ख़ुद विद्युत गति से, निश्चेष्ट (effortlessly), शब्दों को लिखा जाए। विचारों को उँगलियों से बहकर Keyboard के ज़रिए स्क्रीन तक आने में कम से कम समय लगे।

Live TV News के माध्यम में समय से लड़ाई होती है, और जल्दी टाइप करना एक ऐसा हथियार है जिससे हर परिस्थिति में अंत तक लड़ते रहने की क्षमता मिलती है, और टीवी के कामकाज में कई बार क्रैश होने जा रही गाड़ी को बार बार बचा लेने का मौका भी मिलता है।
नाज़ुक समय में कुछ सेकेंड में भी कोई बड़ा और सार्थक बदलाव कर सकने वाली उंगलियां कीमती मानी जाती हैं और रोमांच उन उंगलियों को अपना घर समझकर वहां रहता है। कोई मेहनत करे तो उसकी उँगलियाँ भी क़ीमती हो सकती हैं।

हालांकि आज भी Keyboard का आकार या Keys को दबाने की दूरी कम ज़्यादा हो जाए तो किसी को भी दिक्कत होती है। हाल ही में मैंने एक नया Keyboard खरीदा तो टाइप करने में बहुत परेशानी होने लगी

और सूत्र ये निकला कि

कहीं भी ज़रा सी सेटिंग बदल जाए
तो हम कितने बेचैन हो जाते हैं

कार की सीट आगे पीछे हो जाए
Keyboard का आकार, अक्षर संयोजन, ज़रा सा इधर-उधर हो जाए, तो हम गलतियां करने लगते हैं

💚
आदतें ही कोड हैं
और
आदतों को बड़े स्तर पर डिकोड कर लेना व्यापार है,
आदतों में बदलाव के लिए किसी को मजबूर कर देना भी व्यापार है,
शक्ति उसके पास है जो आपकी आदत बदलने की क्षमता रखता है