मूर्ख दिवस vs भरोसा दिवस

Fake News और डिजिटल राजनीति के दौर में अप्रैल फूल ( #AprilFoolsDay ) पुराना हो चुका है, अब रोज़ मूर्ख बनने/बनाने का ट्रेंड है, और भरोसा क़ीमती है

💚 मूर्ख दिवस (पहले का चलन) ———> भरोसा दिवस (आज की ज़रूरत)

क्या आज के दौर में आप अपने आसपास ऐसे लोगों की कमी पाते हैं जिन पर पूर्ण रूप से भरोसा किया जा सके ?

क्या आप उन लोगों में हैं जो किसी को बिना किसी स्वार्थ के भरोसा दे सकें ?

क्या आप वाक़ई ये जानते हैं कि कौन आपको मूर्ख बना रहा है
और कौन भरोसा दे रहा है?

वैसे अप्रैल फूल कथा इस प्रकार है 🔻
फ्राँस में 1564 तक जूलियन कैलेंडर मान्य था
उसमें नये साल की शुरुआत अप्रैल में होती थी
फिर ग्रेगोरियन कैलेंडर की वजह से नया साल एक जनवरी को शुरू होने लगा
जो लोग इस बदलाव के खिलाफ थे वो अप्रैल में ही नया साल मनाते रहे
ऐसे लोगों को अप्रैल फूल कहा गया।

💡यानी जो संख्या में ज़्यादा लोगों के समूह से अलग सोचे और उसकी राय अलग हो, उस पर मूर्ख का लेबल लगा दिया जाएगा !
इस सोच को बदलने की ज़रूरत है
इसलिए TrustDay मनाइये, illustration इसी पर आधारित है