कॉन्क्रीट कोटर में आओ वसंत

जो वसंत की धूप में चटाई बिछाकर, लेटा रहता था कभी
जो घर का बजट बनाने के बजाए, भावुक होकर खर्चे कर देता था
घर लौटकर आता, तो सबके लिए हाथ में कुछ न कुछ होता था
जो धन न होते हुए भी दानवीर बना रहा
वो महानगरों में कॉन्क्रीट कोटरों की EMI भर रहा है, और वसंत से दूर है
शायद अपने इस हासिल पर काफ़ी हद तक खुश भी है
बीच बीच में अफसोस के झोंके आते जाते हैं
पर वसंत पूरा नहीं आता… बस हैशटैग और पीले रंग में रंगी सेल्फ़ी में थोड़ा थोड़ा आता है

ये 6 ऋतुओं वाले देश का सबसे बड़ा विरोधाभास है। हमारे बड़ों ने… रागों को भी अपनी नाज़ुक उँगलियों से नियमों के साँचे में ढाला। वसंत के राग, साल भर रात्रि के अंतिम पहर में गाये जाते हैं, लेकिन वसंत ऋतु में किसी भी समय गाए जा सकते हैं।

मन पर एक-एक धुन के असर के प्रति भी कितने सजग रहे हैं हम, लेकिन अक्सर वाग्देवी सरस्वती से मिला ऋतुओं का बोध ही हमसे छूट जाता है

और हम कुछ यूँ नुकीले, सबमें चुभे चुभे से रहते हैं, कि अपने चारों तरफ़ उत्साह और ख़ुशी के बुलबुले फोड़ते चलते हैं। इसे बदलने की ज़रूरत है, वसंत सिर्फ एक ऋतु नहीं, मनुष्यता की एक डिग्री है, इसकी भी कोई प्रवेश परीक्षा होगी, देवी सरस्वती ने जिसका पेपर सेट किया होगा
और अच्छे नंबर तभी आएँगे, जब हमें ऋतुओं का बोध होगा।

ये वसंत का इल्म करवाने वाली भूमिका है.. खिड़की है… नींद से जगाने के लिए माथे को सहलाने वाला हाथ है.. शिकायत नहीं… अपने अपने कॉन्क्रीट कोटरों में भी आपको वसंत महसूस हो ऐसी कामना है

पंडित रविशंकर ने 1986 में दिल्ली के मॉडर्न स्कूल में राग आदि वसंत की प्रस्तुति दी थी.. इसका वीडियो शेयर कर रहा हूँ.. जिन अनाम सज्जन ने इसे रिकॉर्ड किया उनका शुक्रगुज़ार हूँ।

और 19वीं शताब्दी के प्रख्यात भारतीय चित्रकार राजा रवि वर्मा को धन्यवाद कहने का मन है.. उन्होंने भारतीय संस्कृति से जुड़े तमाम पात्रों का चित्रण किया। हिंदू देवी देवताओं के सौम्य और प्रभावशाली चित्र बनाए 🙏 देवी सरस्वती का चित्र जो उन्होंने बनाया वो संलग्न है🔻