प्रेम… एक अधूरी लकीर

———तुम तक एक अधूरी लकीर खींची है मैंने———
———कागज़ पर कलम गड़ाकर नहीं———
बहुत हल्के हाथों से——
——थोड़ा लिखते हुए ज़्यादा छोड़ा है

——      इस छूटी हुई खाली जगह में———
—— स्वप्न सा अभयारण्य ——

———प्रेम घटा कम, बचा अधिक है
अरण्य के असभ्य संभावित में———
——अधूरी लकीर के बीच———