Google / Apple वाले दौर में Cloud वाली चेतना, फोटो वाले अवशेष

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क्या ज़िंदा लोगों के भी जीवाश्म होते हैं ?
हाँ होते हैं..
वे तस्वीरों में रहते हैं
कोई पल.. किसी कीड़े, पतंगे की तरह..
जम जाता है.. तस्वीर के गोंद में
और वर्षों बाद मिलते हैं अवशेष..
अनुसंधान के लिए.. जमे हुए पल..
हर कोई..
बस एक तस्वीर खींच कर रख लेना चाहता है…
हर पल की…
हम अपने कैमरा फोन से
यूँ अपने ही जीवाश्म बनाते हुए
चेतना के अनदेखे बादलों को भर रहे हैं
अब अवशेष ही हमारी भाषा के अक्षर हैं
बादलों में नई वर्णमाला ने जन्म लिया है
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