Zero = किसान
हर किसान के माथे पर एक शून्य बना हुआ है, क्योंकि सबने किसानों के अस्तित्व को शून्य से गुणा किया है.. नतीजा.. ज़ीरो..
इसी ज़ीरो को लिखने की कोशिश.. पांच साल पहले 2016 में की थी.. आज भी ये सत्य है.. समय बदलता है.. पर ये शून्य वैसे का वैसा ही रहता है — Notes, 4 अक्टूबर 2021
गिरो तो उठ न सको
बुझो तो जल न सको
किसी ने आवाज़ दी — “ज़हर पी लो”
माथे पर लिखा ज़ीरो..
थे तुम कभी हीरो
ज़मीन को चीरकर
अपना पसीना बो कर
अपने आंसू खो कर
अनाज देते रहे ज़माने को..
लेकिन
तुम्हें शून्य से गुणा किया सबने
© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree