“हे मनुष्य”
“ओके मनुष्य”
“थम जा मनुष्य.. आगे खाई है”
ऐसे ही किसी जागृत कर देने वाले वाक्य से मन का स्मार्ट स्पीकर एक्टिव हो गया.. उसने माहौल को जज़्ब किया.. और फिर.. एक-एक करके कुछ बातें कहीं.. इन बातों में जो पात्र हैं.. वो काल्पनिक नहीं हैं… वो सब आपके आसपास ही मौजूद हैं

चश्मे पर भाप
जाने कैसा विज्ञान है
मास्क लगाते हैं तो चश्मे पर भाप जम जाती है
और दिखना कम हो जाता है
चौथा आयाम
वो अस्पताल में है
आंख के आगे उसे उड़ते हुए धब्बे दिखते हैं.. ग़ुब्बारे जैसे
परिवार चिटक गया.. तब से अंदर कोई द्रव रिस रहा है
रिश्ते में जो अदृश्य सा था
वही शायद सामने आ गया
ख़्याल, भावनाएँ, प्रतिक्रियाएँ.. ये मरते नहीं कभी
बस खोए हुए एक अदृश्य आयाम में भीगे बैठे रहते हैं
ये चौथा आयाम है.. जो सीलन की तरह घुस आता है
और फिर तीन आयामों की दुनिया में रहने वाले लोग
सफ़ेदी करवाते हैं
काला पानी
उसके खरोंचने का अंदाज़ एकदम अलग था
नाखून काटकर आता था
पर उँगलियों को गाड़ देता था
दिमाग में…
पानी, खून, विचार कुछ भी निकले
उसे बोरिंग करके निकालने की आदत थी
सप्लाई के लोकतांत्रिक पानी से मन नहीं भरता था उसका
इसीलिए प्यास कभी नहीं बुझी
और प्रयास पर कटाक्ष करने वाला
काला पानी बाहर आता रहा
चिंता का अनुष्ठान
उसके पास विकल्प ज़्यादा थे
इसलिए वो हमेशा चिंता के अनुष्ठान में लगा रहता था
विकल्पों के खिलौनों से
उसका मध्यम आकार का जीवन
पूरी तरह भरा हुआ था
ख़ाली जगह
जब तक पर्दा पड़ा था..
तब तक घर भरा भरा लगता था
कुछ भी रखने की जगह नहीं मिलती थी
एक दिन खोल दिए सारे पर्दे
तो घर में खाली जगह दिखने लगी
और.. मन में भी
फुंके हुए कारतूस
ज़िंदा कारतूस थे
जेब में पड़े रहे
उनके बंदूक़ तक पहुँचने
और फिर दागे जाने की नौबत ही नहीं आई
बोरियत में बार बार जेबें बदलते बदलते
उनका नाम भी बदल गया
अब हंसकर लोग उन्हें
फुंके हुए कारतूस कहते हैं
© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree
मन का स्मार्ट स्पीकर .. कुछ काम की बातें बोल रहा है .. #kavivaar में लिख दी हैं .. पढ़िए .. कुछ रह जाएगा अंदर .. देर तक सुनाई देगा
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Behtareen likhte hain aap
सर, हर शब्द ज़हन को छूने वाला है, गहराई इतनी की माप पाना हर किसी के बस की बात नहीं