Sapped Warrior : योद्धा की थकान ही उसकी मृत्यु है

एक दिन मर जाओगे.. सब ठीक हो जाएगा.. ये बात लोक व्यवहार में कई बार जीवन से निराश या परेशान व्यक्ति से कह दी जाती है.. इसका ये अर्थ नहीं.. कि कोई किसी की मौत चाहता है.. इसका सार ये है कि मृत्यु का बोध हर परेशानी को उसके सही आकार में पहुँचा देता है। सवाल ये भी है कि मृत्यु के बोध को जीवन में रहते हुए कैसे पाया जा सकता है… इसके दो तरीके हो सकते हैं… पहला – गहरी नींद में सोना.. और दूसरा – अपनी गहरी थकान के साथ कुछ समय के लिए.. खामोशी से बैठना। सोते तो सभी हैं लेकिन हर रात की नींद में मौजूद.. छोटी मौत को देख नहीं पाते। थकान का क़िस्सा ज़रा दूजी क़िस्म का है।
जो युद्ध में नहीं है.. वही अपनी थकान के साथ बैठकर बातचीत कर सकता है। जो युद्ध में है.. उसके लिए थकान मृत्यु समान होती है। योद्धा की थकान ही उसकी मृत्यु है.. लंबे समय तक चलने वाले युद्धों के नतीजे.. युद्ध कौशल से नहीं.. थकान से तय होते हैं.. और जिसे लगातार चलना होता है.. लगातार कुछ करना होता है.. उसके लिए थकान एक शाप बन जाती है।

योद्धा की थकान ही उसकी मृत्यु है

चारों तरफ से घिरा हुआ
अकेला योद्धा..
उसके रिपु..संख्या में बढ़ते हुए
वो खुद..
अपनी धुरी पर परिक्रमा करते हुए
उसकी वीरता चक्राकार घूमते हुए
रणभूमि में सूर्य सी उगती और फिर डूबती..
विजय के गुणा-भाग और
शत्रु के संख्या बल के सामने

ज़्यादा देर तक चलने वाले युद्ध
अक्सर नियमों का विसर्जन कर देते हैं
और विजय का निर्णय लेती है थकान
योद्धा की थकान ही उसकी मृत्यु है

निरंतर

बचने के लिए
उसे लगातार चलना था
इस क्रिया पर हावी होती थकान
उसका शाप थी

क़ीमत

“चलो कुछ शॉपिंग करके आते हैं”
.. और गाड़ी चल देती है
हमारी आँखें फिसलती जाती हैं
जगमगाते शोरूम्स के ऊपर से

सब कुछ चाहिए होता है
पर कुछ पसंद नहीं आता
पैसा देकर कुछ भी ख़रीदने लायक नहीं लगता

आख़िर में खाली हाथ लौटते हैं
क्योंकि
पैसे से सब कुछ नहीं ख़रीदा जा सकता
पैसा थकान नहीं उतारता

दाना.. पानी.. गुलामी

सारे घोड़े थके हुए हैं
अस्तबल के भोजन पर डटे हुए हैं
चारों तरफ ख़ुशहाली है
तनख़्वाह आने वाली है

Siddharth | सिद्धार्थ
Siddharth | सिद्धार्थ

काव्य के नये सूत्र, नये आयाम रचने की कोशिश है, डिजिटल दौर में कुछ महसूस कर पाना ही सबसे बड़ी पूँजी है, वही बाँट रहा हूँ

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आप थके हुए हों.. और कोई उस समय आपके मन की बात कह दे .. तो वो स्नेह लेप जैसी लगती है .. इस बार #kavivaar में उस थकान को शब्द मिल गए हैं.. जो आपको हर रोज़ महसूस होती है