
जो अभावों में है.. वो भूख से परेशान है.. तितिक्षा यानी दुख या पीड़ा सहन करने की शक्ति के भरोसे जी रहा है… वो यही सोचता है कि भूख का क्रम उसके लिए खत्म क्यों नहीं होता। और जो संपन्न है.. वो अपनी ज़िंदगी में हर चीज़ की अधिकता को पचाने की कोशिश में लगा है.. वो भूख से नहीं अपच से परेशान है.. और अभूतपूर्व पाचन शक्ति चाहता है.. वैसी ही शक्ति जो अभावों में रहने वाले किसी गरीब में होती है। वो ऐसा सुपरमैन बनना चाहता है जिसके सीने पर Superman का S नहीं.. पाचन शक्ति का P लिखा हो..
इस विचार को मन के मर्तबान में डाला.. धूप में रख दिया.. फिर जो बना.. वो ये रहा..
थर्मोकोल, कांच, लकड़ी, मिट्टी
अन्याय, हिक़ारत, ठंडा लहू , खौलते हुए ताने
सब पचा लेते हैं
कुछ लोगों की भूख हर चीज़ को गला देती है
अभावों में
बढ़ जाती है पाचन शक्ति
संपन्नता अपने साथ
पाचन की गोलियाँ लेकर आती है
नीचे देखिए.. पहले से ही लिखकर रखा है ये Tweet,
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वो भूख से नहीं अपच से परेशान है .. और अभूतपूर्व पाचन शक्ति चाहता है .. वैसी ही शक्ति जो अभावों में रहने वाले किसी गरीब में होती है, उसे ऐसा सुपरमैन बनना है जिसके सीने पर S नहीं .. पाचन शक्ति का P लिखा हो… #kavivaar
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