दो शब्द हैं
- जाहिल
- कुत्सित
इनके मूल अर्थ और उद्गम को जाने बिना इनका काफी प्रयोग होता है…
इसलिए इसे समझ लेना चाहिए
जाहिल शब्द अरबी के शब्द जाहिलिया से आया है.. इसके मूल में भी जह्ल है। ये अरब में इस्लाम से पहले की सामाजिक स्थिति को लेकर बोला जाता था। यानी इस्लाम के उद्भव से पहले की अवस्था के लोगों और ग़ैर इस्लामी समाज.. इन सबके लिए मोटे तौैर पर जाहिलिया शब्द का प्रयोग होता था।
पैगंबर मोहम्मद साहब के खानदान में एक व्यक्ति थे अबू जह्ल (Jahl) जो उनका विरोध करते थे उनके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करते थे। इसलिए जह्ल (Jahl) शब्द की तासीर नकारात्मक मानी गई है.. और फिर बाद में इसका जेनेरिक विस्तार करने से जाहिल शब्द निकला.. जिसे मूर्ख का पर्याय माना गया।
इसी तरह कुत्सित शब्द.. जिसका अर्थ निंदित या नीच होता है वो संस्कृत के कुत् से बना है.. इससे बनने वाले शब्दों जैसे – कौतुक, कौतूहल इत्यादि का अभिप्राय जानना हुआ करता था.. इस सकारात्मक प्रवृत्ति के कारण एक ऋषि का नाम भी कौत्स था। पर आगे चलकर एक अन्य विद्वान कौत्स हुए जिन्होंने वेदों की निंदा की। इसके बाद से कुत्स का अर्थ परिवर्तन हो गया और नकारात्मक अर्थों में इस्तेमाल किया जाने लगा। इससे ही कुत्सित.. और कुतर्क जैसे शब्द निकले।
इस जानकारी के लिए करीब 89 वर्षीय वरिष्ठ लेखक और भाषा विज्ञानी भगवान सिंह जी का शुक्रगुज़ार हूँ। उन्होंने 1968 में भारत की सभी भाषाएँ सीखने के क्रम में कई शानदार काम किए हैं.. उन्हें बहुत बहुत आदर
© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree