फ़िलहाल भारत में जो स्थिति है उसे सुलझाने के लिए
Panic करने की ज़रूरत नहीं है..
परंतु लापरवाह होकर Picnic करने की भी ज़रूरत नहीं है
ये सावधान रहने और इतिहास से सबक़ लेने का समय है
2020 में 1918 वाले सबक़ महत्वपूर्ण हो चले हैं 👇

1918 में दुनिया की एक तिहाई आबादी संक्रमित हो गई थी और 5 से 10 करोड़ लोग मरे थे
वो दौर 102 साल पुराना था.. लेकिन उस दौर में अखबारों में जो विज्ञापन छप रहे थे.. उनमें और आज के दौर में प्रचारित किए जा रहे विज्ञापनों में बहुत समानता है।
1918 में स्पैनिश फ्लू फैलने के 102 साल बाद भी विज्ञापनों की भाषा वही है
तब भी साबुन से हाथ धोने की सलाह दी जा रही थी

तब भी मास्क पहनने की सलाह दी जा रही थी

एंटीसेप्टिक स्वास्थ्य रक्षक साबुन बेचने वाले विज्ञापन छप रहे थे

यहां तक कि साइकिल कंपनियों के एड में भी लिखा होता था कि इन साइकिलों की सर्विस फ्लू के वायरस से मुक्त है
