राजपुरुष(या स्त्री)… फिर चाहे वे किसी भी दौर में सत्ता में क्यों न हों.. उन्हें लोकतंत्र को चबाने में बड़ा स्वाद आता है… घर.. दफ़्तर.. पार्टी दफ़्तर… देश… दुनिया… हर जगह यही समीकरण है.. इस बात को पांच लाइनों में लिखने की कोशिश की है।
खलिहान को
नान बनने का आदेश मिला है
लोकतंत्र कितना कुरकुरा है..हमारे शक्तिशाली जबड़े के लिए
अब छप्पन भोग भी कम हैं
© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree