स्वचालित सीढ़ियाँ सिर्फ एक सुविधा मात्र नहीं हैं… इनमें श्रम का समर्थन मूल्य तय करने वाला एक सामाजिक कटाक्ष भी दिखाई देता है। एक तरफ सीढ़ियाँ हाँफ कर चढ़ने वाले लोग हैं.. दूसरी तरफ पराए श्रम पर स्वचालित यात्राएं करने वाला वर्ग
सीढ़ी खुद ब खुद चढ़ रही हो
और यात्री हो ठहरा हुआ
एक बिंदु पर
इस उत्थान पर
स्वचालित श्रम पर
उधार हैं असंख्य यात्राएँ
जिनकी चोट
पत्थरों को मूर्ति बना देती है
© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree