इस दौर में रावण देखने के लिए कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है, रावण आपके आसपास है, हो सकता है आपके मन के अंदर भी कोई रावण, पार्टी कर रहा हो ! उसके अट्टहास को सुनिए.. वो कहेगा कि ‘पार्टी यूँ ही चालेगी‘.. लेकिन आप उसके घमंड का समारोह जब चाहे बंद कर सकते हैं और उसे काम पर लगा सकते हैं, रावण और उसकी प्रवृत्तियां अगर आपकी सेवक बन जाएँ, और उनकी दिशा सकारात्मक हो, तो बहुत उपयोगी साबित हो सकती हैं। अगर दशानन दैनिक हो जाएं.. तो शुभकामनाओं से बात नहीं बनती पूरे समाज को विजय के कैप्सूल की ज़रूरत पड़ती है.. आगे लिखी पंक्तियों में दैनिक विजय का मंत्र है

Arrows Continued : दैनिक दशानन
जलकर, भस्म होकर
फिर से खड़ा हो जाता है
नाभि में तुम्हारे तीर का स्वागत करने के लिए
दशानन थक नहीं रहा
इसलिए तुम्हें भी
मर्यादाओं की प्रत्यंचा बार बार चढ़ानी होगी
बार बार भेदना होगा लक्ष्य
कि तुम भी थक नहीं सकते
अब हर रोज़ नये रावण हैं
नयी विजयादशमी है हर रोज़
एक बात और…..
आप जब भी रामलीला में, या रामायण के पात्रों के रूप में सजे हुए लोगों के बीच जाएंगे तो वहां देखेंगे हर किसी में रावण के साथ एक फोटो खिंचवाने की ललक है… त्रेता युग से कलियुग आते आते खलनायक की चमक बढ़ गई है, हर कोई इस चमक, इस दबंगई, इस शक्ति को अपने अंदर देखना चाहता है। राम बनने का धैर्य और साधना इस दौर में किसी के पास नहीं और जब समाज को ऐसे लक्ष्य मुश्किल लगते हैं तो वो उल्टी दिशा से काम करना शुरू करता है यानी रावण को मूल रूप में लेकर उसमें सकारात्मक बदलाव करना शुरू करता है.. भले ही लोग अपनी श्रद्धा के चलते इस बात को न कहें पर मुझे लगता है कि इस दौर में चुपचाप ऐसा हो रहा है। हर गुज़रती पीढ़ी के साथ रावण के प्रति गुस्सा कम हो रहा है। रावण महा ज्ञानी था लेकिन उसमें कुछ दोष थे.. और हर साल इन व्याधियों पर अपना गुस्सा उतारकर हमारी परंपराएं अपने हाथ झाड़ लेती हैं.. परंतु गौर से देखा जाए तो रावण और राम के बीच सिर्फ आदर्श कर्मों का फर्क है.. यानी रावण के सॉफ्टवेयर में त्रुटियां हैं और इन त्रुटियों को दूर करने के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट की ज़रूरत है.. आज की भाषा में सार निकालूं तो राम और रावण के बीच सिर्फ एक सॉफ्टवेयर अपडेट का फर्क है.. और खलनायक से खल को हटाकर नायक बनाने की गुंजाइश है।
“Ram = Ravan’s Bugs Fixed & Software updated”
वैसे दस सिर वाला दशानन अब एक सिर वाला हो चुका है
आज का हर रावण बाकी के 9 चेहरे अंदर छिपाकर चलता है
जो आसानी से पकड़ में नहीं आते
बस राम बनने की एक्टिंग करते हैं, तालियाँ पाते हैं
~ जला देने से प्रवृत्ति का नाश नहीं होता
इसलिए रावण फिर फिर जलता है, फिर फिर लौटता है