Atmosphere : माहौल

अक्सर माहौल की बात होती रहती है। माहौल ठीक है / नहीं है / पहले ऐसा नहीं था / अब वो बात नहीं रही / जो चाहते थे वो क्यों नहीं हुआ ?… तर्क और भूख पर आधारित इन अनुभूतियों के बीच हम भूल जाते हैं कि माहौल बनाने की चिंगारी.. हमारे अंदर है। हमारे मन के जिस कोने में आग लगती है और फिर वहां से जो सुगंध या दुर्गंध उठती है, वहीं से माहौल बनना शुरू हो जाता है। इस बात को रेखांकित करने की कोशिश मैंने की है। ये कविता अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों में लिखी गई है। मुझे लगता है कि सामान्य लोग और किसी भी कीमत पर सफल होने वाले या सफलता चाहने के लिए प्रशिक्षित और प्रोग्राम किए गये स्वचालित लोग.. इसे पढ़कर अपना अपना माहौल ठीक कर पाएंगे।

जलते जाना, जलते जाना
हवाओं में पिघलते जाना
तमाम उखड़ती सांसों पर
पंखा हल्का झलते जाना

बहुत मुश्किल है बचना यहां
चाल दर चाल चलते जाना
कोशिश तो करो, ज़रा धीरे चलो
कभी गिरे कोई तो रुकते जाना

जीतने की भूख तो सभी में है यहां
कभी हारना, झुकना, दमकते जाना

International Version

Its You.. a Flare
stay up in the atmosphere
don’t let the darkness Kill
that Chilly breath moving up the hill
its Fusion of Fire & rain
Just try to soothe every pain

Yes, its you… a Flare
Lighting up the Atmosphere

 

This World is a Chess
What a beautiful mess
Just walk on your Fears
But care for those tears
Step up little slow
Make your words Mellow
When Every battle is for a Win
Try Losing once and glow
And Remember

Its you… a Flare
Lighting up the Atmosphere

 

© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree