Pixels : अपनी तस्वीर के टुकड़े

एक सॉफ्टवेयर में अपनी ही तस्वीर को Pixels में तोड़कर देख रहा था। तरह तरह के प्रयोग करते हुए, हर बार मुस्कान बाकी रह जाती थी, बाकी सब Pixel बनकर बिखर जाता था। इस बात ने इस छोटी सी कविता को जन्म दिया।

अब आप मुस्कुराइए
क्योंकि आपकी शख़्सियत में
बस एक मुस्कान ही बाक़ी रह जाती है
बाक़ी सब उधड़े हुए
काले, सफ़ेद…
लाल, हरे, नीले Pixels हैं

© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree