काफ़ी लंबे समय से कारों के पीछे गुस्साए हुए हनुमान जी की तस्वीर देख रहा हूं। आंखों में क्रोध लिए, सदा दंड देने की मुद्रा में… ऐसे हनुमान का वर्णन तो कहीं नहीं मिलता? फिर इन्हें बिना सोचे समझे हर वाहन के पीछे जगह क्यों मिल रही है?
हमारे ग्रंथों में हनुमान जी को बल-बुद्धि-विद्या-विवेक का प्रतीक माना गया है। लेकिन वो कभी क्रोध के अधीन नहीं होते। वो वानर की तरह हंसते खेलते, सामान्य शरारत करते हुए ही अपने बल का प्रयोग कर लेते हैं। उनका बल प्रयोग भी शत्रु के प्रति हास्य-व्यंग्य और लीलाओं से भरा हुआ है। किसी भी परिस्थिति में वो ये नहीं भूलते कि वो राम के सेवक हैं। और भगवान का सेवक होने का भाव उनमें क्रोध और घमंड नहीं आने देता।
रामचरितमानस के सुंदरकांड और उसके आसपास की कथा का अध्ययन करें तो पता चलता है कि हनुमान जी क्रोध के मुकाबले, विवेकशीलता को अधिमान देते हैं।
समुद्र के ऊपर वायुमार्ग से लंका की ओर जाते हुए उन्हें रास्ते में मैनाक पर्वत मिलता है। वो हनुमान जी को विश्राम का ऑफर देता है। लेकिन वो धन्यवाद कहकर आगे बढ़ जाते हैं। क्योंकि उनके लिए लक्ष्य पूरा किए बिना, विश्राम का कोई अर्थ नहीं है। लक्ष्य से भटकना भी लक्ष्य को पीठ दिखाने के समान है।
आगे बढ़ने पर उन्हें सुरसा नामक राक्षसी मिलती है, वो हनुमान जी को निगलना चाहती है। हनुमान जी उस समय अपनी शक्ति का अभिमान नहीं करते बल्कि अपने आकार को ज़्यादा करके सुरसा के मुंह को बहुत ज़्यादा खुलवा लेते हैं। फिर अचानक अपना आकार छोटा करके, उसके मुंह में प्रवेश करके, वापस लौट आते हैं और इस तरह अपने शत्रु को भी अपनी बुद्धि और विवेक का प्रशंसक बना लेते हैं।
लंका में चारों तरफ से शत्रुओं द्वारा घेर लिए जाने पर भी उन्हें क्रोध नहीं आता। महा-बलवान हनुमान अस्त्रबल, शस्त्रबल, सैन्यबल और संगठन बल के बिना भी केवल बुद्धिबल और बाहुबल के आधार पर बार बार कठिन परिस्थितियों पर विजय प्राप्त कर लेते हैं।
रावण शिव का भक्त था और हनुमान स्वयं शिव के अवतार, वो चाहते तो रावण को खुद ही करारा जवाब दे सकते थे। लेकिन वो रामकथा का क्लाइमैक्स नहीं बदलते, अपना सेवक वाला भाव बनाए रखते हैं, और लंका जलाकर आराम से लौट आते हैं।
कई कथावाचक हनुमान जी और रावण के बीच हुए एक संघर्ष की कथा भी सुनाते हैं। ऐसी एक छोटी सी कथा का ऑडियो मुझे मेरी मां ने भेजा था। उसे सुनते हुए मेरे चेहरे पर मुस्कान आई, और मुझे इसमें किसी तरह की उत्तेजना, क्रोध या आक्रामक आचरण का बोध नहीं हुआ। आप भी सुनिए
कुल मिलाकर हनुमान जी का परिचय इस प्रकार है – श्रीराम के भक्त, उनके सेवक, रुद्र के अवतार, महावीर, बल-बुद्धि-विद्या-विवेक के प्रतीक, अखंड ब्रह्मचारी, जनमानस पर असर डालने वाले भक्ति संगीत का एक विश्वसनीय चेहरा। ये परिचय, कारों के पीछे चिपके उग्र हनुमान के पोस्टर से मेल नहीं खाता। इसलिए इस तस्वीर को हनुमान जी का प्रतिबिंब समझने की भूल ना करें।
© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree