भगवान शिव = विष पचाने का यूज़र मैनुअल

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को याद किया जाता है, उनकी उपासना की जाती है.. और ये उनके आध्यात्मिक स्वरूप से बहुत कुछ सीखने का दिन भी है। शिव को आप विष पचाने वाला महानायक भी कह सकते हैं। उनका पूरा व्यक्तित्व एक तरह से विष पचाना सिखाने वाले यूज़र मैनुअल की तरह है। विष को अगर हराना है.. तो उसे पचाना होगा.. आज के दौर में जीवन के हर विषैले मोड़ पर, शिव का आधुनिक स्वरूप देखने की ज़रूरत है। इस एंगल से शिव के जीवन की घटनाओं को आधुनिक संदर्भों में कई साल पहले लिखा था। 3 साल पहले शेयर भी किया था। अब इसे महादेव यूज़र मैनुअल के रूप में फिर से शेयर कर रहा हूँ। आप सबके काम आ सकता है। बचपन में हम खाना खा लेते तो बुज़ुर्ग कहते थे अमृत की डकार.. आज हर विष को हराने के लिए अमृत जैसे इस भाव की ज़रूरत है

भगवान शिव ध्यान मुद्रा में रहते हैं। शिव ने अपने जीवन में बहुत कुछ खोया और बहुत कुछ पाया..लेकिन महादेव कभी जीवन की ऐसी घटनाओं से विचलित नहीं हुए । शिव की भक्ति में एक ख़ास तरह का अपनापन और स्नेह है, उनकी भक्ति का प्रसाद पाकर संसार शिथिल हो जाता है, परंतु वो संहारकर्ता की भूमिका भी निभाते रहते हैं। वो एक ही समय में युद्ध भी करते हैं और शांत चित्त भी नज़र आते हैं। युद्ध उनकी आवश्यकता तो हो सकती है, लेकिन उनमें इसे लेकर उन्माद दिखाई नहीं देता।

शिव ने अपनी प्रिय पत्नी सती को खोया..तो उन्हें बहुत क्रोध आया..इतना क्रोध कि वो तांडव नृत्य करने लगे। जिस वजह से पृथ्वी पर प्रलय का संकट पैदा हो गया। विनाश और सृजन उनकी गोद में खेलते हैं। शिव को जब भी ज़रूरत होती है वो प्रकृति का Restart बटन दबा देते हैं इस भाव पर मैंने एक कविता भी लिखी थी जिसमें मैंने कहा था ‘विध्वंस होते रहने चाहिए’ उस कविता में भी शिव के आध्यात्मिक स्वरूप की उपासना शामिल थी। 6 लाइन की ये कविता पढ़िए फिर आगे इस विषय को और विस्तार देते हैं।

Restart

कभी कभी
कोई अदृश्य विस्फोट
सब समतल कर जाता है
हमें साथ ले आता है
छोटे-छोटे विध्वंस होते रहने चाहिएँ
ताकि व्यक्तित्वों के अचल पहाड़ न बन सकें

शिव नटराज हैं। यानी उन्हें नृत्य का देवता माना जाता है। वो Existence यानी अस्तित्व से लड़ते नहीं है। बल्कि उसके साथ नृत्य करते हैं। मान्यता है – शिव अपने नृत्य से सृष्टि का निर्माण भी कर सकते हैं और संहार भी। स्विटज़रलैंड में बनी वैज्ञानिकों की महाप्रयोगशाला यानी CERN लैब में वैज्ञानिक God Particle पर एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं और अपने प्रयोगों को हर रोज़ बेहतर कर रहे हैं, ताकि ऐसे तत्व की खोज हो सके जिससे सृष्टि का निर्माण हुआ है। इस Lab के बाहर भी शिव की नटराज वाली प्रतिमा लगाई गई है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि वो शिव की ही तरह लैब में एक ब्रह्मांड बनाने की कोशिश कर रहे हैं।इसलिए जब आप भी कोई Creative काम करें..तो उसे नाचते गाते हुए, उत्सव मनाते हुए करें। उसके प्रति विरोध ना जताएं। अपने जीवन में नृत्य को जगह दें और खुद को चिंताओं से मुक्त रखें।

शिव के संसार में सबका स्वागत है। वो अपने भक्तों के बीच भेदभाव नहीं करते। शिव के भक्तों में भूत, पिशाच, राक्षस और बाकी सभी तरह के प्राणी शामिल हैं। यानी जिन्हें कोई स्वीकार नहीं करता..शिव उन्हें भी स्वीकार कर लेते हैं। इसका एक अर्थ ये भी है कि आप अपने जीवन में सभी तरह के लोगों को जगह दें। और अगर आपको किसी की कोई आदत..या बात अच्छी नहीं लगती तो उससे परेशान ना हो। किसी के संपूर्ण अस्तित्व में.. सभी तरह के विचारों के लिए जगह होती है। इसलिए ऐसे संघर्ष में ना पड़ें..जिससे आपकी ऊर्जा बर्बाद हो।

शिव पारिवारिक व्यक्ति हैं। उनकी पत्नी हैं..बच्चे हैं और शिव उनका ध्यान रखते हैं। लेकिन शिव योगी भी हैं। वो कैलाश मानसरोवर जैसे ऊंचे पर्वतों पर जाकर साधना करते हैं। यानी वो परिवार, अपने कर्मक्षेत्र और अपने अंदर के एकांत के बीच संतुलन बनाना जानते हैं। इसलिए जब भी आपके सामने पारिवारिक परेशानियां आएं.. तो परेशान ना हो, खुद के लिए वक्त निकालें किसी शांत जगह पर बैठें और ध्यान यानी Meditation करें।

शिव का एक रूप अर्धनारीश्वर का भी है..इसमें शिव आधे पुरुष और आधी स्त्री के रूप में नज़र आते हैं। शिव सबसे बड़े पुरुष माने गए हैं। लेकिन वो अपने साथ शक्ति को भी रखते हैं। बल्कि शिव का ये रूप आधा शिव में और आधा शक्ति में बंटा हुआ है। शिव जानते हैं कि बिना शक्ति के उनका भी अस्तित्व नहीं है।

अगर आप भी अपने आस पास की महिलाओं की इज़्ज़त ऐसे ही करेंगे जैसे शिव करते हैं..तो आप खुद भी खुश रहेंगे और दूसरों को भी खुश रखेंगे। पारिवारिक जीवन में कई बार घरेलू झगड़े डिप्रेशन की वजह बन जाते हैं। लेकिन अगर आप एक दूसरे को अपना आधा हिस्सा मानेंगे तो ज्यादा सहज तरीके से जी पाएंगे

शिव सभी देवताओं को शक्ति देने का काम करते हैं। वो सारी शक्तियों का स्रोत हैं। वो भगवानों के बीच सबसे बड़े Arms Supplier यानी शस्त्रों का निर्माण और वितरण करने वाले भी हैं। वो सभी को वरदान देते हैं। एक से बढ़कर एक हथियार देते हैं। लेकिन इसके साथ ही संहार/मोक्ष का इंतजाम भी करते हैं। शिव ने महाभारत काल में जयद्रथ को एक युद्ध में अर्जुन को छोड़कर बाक़ी के चार पांडवों पर भारी पड़ने का वरदान दिया। लेकिन साथ में उसके संहार की व्यवस्था भी कर दी। रावण को भी वरदान दिया, लेकिन उसकी मृत्यु/मोक्ष का टेंडर भी निकाल दिया।

विष को साधना कोई शिव से सीखे। समुद्र मंथन में निकले भयानक विष को कंठ में साधकर शिव ये संदेश देते हैं कि जीवन में हमेशा सब कुछ अच्छा ही नहीं होता, सुख दुख आते रहते हैं और उन्हें साधकर जीवन जीना अपने आप में एक तपस्या है।

शिव, एक गृहस्थ और एक संन्यासी का जीवन एक साथ बिताते हैं। उनके व्यक्तित्व में कई विरोधाभास हैं। फिर भी वो अलग अलग भूमिकाओं का संतुलन बनाकर रखते हैं, इसीलिए वो देवों के देव हैं। अंत में एक कविता के साथ अपनी बात को विराम देना चाहता हूँ। इसे पढ़िए और शिव के तांडव में छिपे प्रेम को महसूस कीजिए

Shiva's Molten Marriage
बहता हुआ लावा माँग का सिंदूर बन जाता है


तुमने पार्वती की तरह मुझे अपनी भक्ति से जलाया
मैंने शिव की तरह तीसरे नेत्र को खोला, प्रलय को बुलाया
हमारे बीच
भावनाओं के ज्वालामुखी फटते हैं
तो टुकड़े टुकड़े हो जाती है ज़मीन,
बनती है आग की लकीर
जो रास्ते की हर चीज़ को
मिटाती हुई
और कुछ नया लिखती हुई चली जाती है
विध्वंस और सृजन
एक साथ सधे हुए दिखते हैं
शिव के नीले कंठ में

बार बार
कच्चे रिश्तों के बीच बहता हुआ ये लावा
माँग का सिंदूर बन जाता है

© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree