Myopic World : मोटा चश्मा लगाने वालों का संसार

क्या आपने कभी ये सोचा है कि जो लोग मोटा चश्मा लगाते हैं, उन्हें बिना चश्में के ये दुनिया कैसी दिखाई देती है ? कमज़ोर नज़र का अर्थ है रेखाओं का मिट जाना। दुनिया में हर चीज़ को आकार देने का काम रेखाएँ ही करती हैं, और नज़र कमज़ोर होते ही, सबसे पहले ये रेखाएँ ही अदृश्य हो जाती हैं। जैसे ही रेखाओं की ये सीमा ख़त्म होती है, सारी चीज़ें आपस में मिल जाती हैं। इंसान से लेकर इमारत तक, सबकी हैसियत एक जैसी लगती है। ऐसा लगता है कि कमज़ोर नज़र वाले कितना साफ़ देख पाते हैं, दायरों के पार देख पाते हैं।

उसकी नज़र कमज़ोर है,
चश्मा लगने वाला है शायद,
कुछ भी स्पष्ट नहीं

इंसान हो या इमारत किसी का कोई दायरा नहीं
अकड़ और अमीरी-ग़रीबी की सारी रेखाएँ
धुँधली, मिटी हुई, मिली हुई सी
दुख में मिला हुआ सुख
दिन में मिली हुई रात
चारों तरफ़ बुलबुलों से भरी हुई दुनिया
बड़े बड़ों की हैसियत कैसी?
साबुन के झाग जैसी

ये रंग बिरंगा शून्य है
कमज़ोर आंखों से वो सब कुछ दिख रहा है
जो स्वस्थ आंखों से भी दिखाई नहीं देता

© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree