
क्या मैं आपका चेहरा छूकर देख सकती हूँ ?
एक नेत्रहीन लड़की को एक मशहूर आदमी से ये सवाल पूछते हुए देखा, और उसी पल मन में आया कि छूकर देखना क्या होता है? क्या छूकर किसी को देखा जा सकता है?
जब आँखें नहीं होतीं, तो देखने का काम दूसरे अंगों/इंद्रियों को करना होता है। इस लड़की के लिए आँखों का काम हाथ कर रहे थे। ये लड़की सामने मौजूद व्यक्ति के चेहरे को छूकर उसकी त्वचा की लचक, खुरदुरापन और तैलीय आवरण को महसूस कर रही थी। जिस तरह आँखें किसी तस्वीर को हमेशा के लिए अंकित कर लेती हैं उसी तरह ये लड़की अपने हाथों में एक स्पर्श को हमेशा के लिए अंकित कर लेना चाहती थी। वो हाथों से अपनी मरी हुई आँखों की क्षतिपूर्ति कर रही थी, लेकिन इसके बावजूद उसके पास दृष्टि थी। वो देख सकती थी। हमारे वो हाथ जो हर रोज़ रिश्तों को टच स्क्रीन पर छू-छूकर पाषाण बन चुके हैं, क्या वो कभी इस स्पर्श के समकक्ष.. कुछ महसूस कर सकेंगे। क्या आपने अपने हाथों से कभी कुछ छूकर देखा है ?
आंखें भरी हुई थीं लबालब
इंतज़ार कर रही थीं कि कोई छू दे
तो छलक पड़ें
हम Touch Screen पर
रिश्तों को दिन भर छूते हैं
सूचनाओं के चौखाने खुलते चले जाते हैं
पर हृदय के पट नहीं खुलते
प्रेम तत्व बाहर नहीं आता
भावनाओं का कोई द्रव नहीं छलकता
माथे को सहलाने वाली,
बालों से गुज़रने वाली उँगलियाँ
उजले कांच को छूते छूते सख़्त हो गई हैं
स्पर्श को अपना घर बदलने की ज़रूरत है।

Notes : 4 October 2021
2021 का चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दो वैज्ञानिकों को स्पर्श और दर्द के सेंसर / रिसेप्टर की खोज के लिए दिया गया। त्वचा दबाव पड़ने पर और तापमान को महसूस करने पर जो प्रतिक्रिया देती है.. उसके पीछे यही सेंसर होते है.. इससे शरीर के कई रहस्य खुलेंगे, नये पेनकिलर बनेंगे… लेकिन स्पर्श और दर्द सिर्फ मेडिकल विषय नहीं हैं..
मोटी चमड़ी वालों और महान नेता बन चुके लोगों की त्वचा में महसूस करने की गुंजाइश कम होती है.. बहुत सारे सेलिब्रिटीज़ की त्वचा के सारे सेंसर सोए हुए होते हैं, सिर्फ पैसे और महत्वाकांक्षा वाला सेंसर जागता रहता है, भविष्य में शायद इस पर भी कोई रिसर्च हो !
© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree