In 4th Century BC, Indian Political Philosopher and Economist
Kautilya once said :
“The arrow shot by the archer may or may not kill a single person. But stratagems devised by a wise man can kill even babes in the womb.”
Same is true with News Now. This is a poem on present News Scenario.
ख़बरें नुकीली हो गई हैं
मांस, अस्थि, मज्जा को पार करके
गर्भ में पल रहे बच्चे के भविष्य को
छेदने लगी है
मन में पल रहे विचारों को
भेदने लगी हैं
ख़बरों वाले शार्प शूटर
खड़े हैं मुँडेरों पर
या बैठे हैं कुर्सियों पर
उनका दाम वाजिब है
निशाना अचूक है..
और ख़ुशक़िस्मती से
ये हथियार आधुनिक है
इससे खून नहीं निकलता
चीख नहीं निकलती
कोई सबूत नहीं छूटता
बस बाद में साबुन लगाकर,
रगड़कर नहा लेते हैं
ग्लानि को बहा देते हैं पानी के साथ
और क्रमश:
खड़े हो जाते हैं उन्हीं मुँडेरों पर
बैठ जाते हैं उन्हीं कुर्सियों पर
उनके हाथ
ख़बरों की धार और नोक से कभी नहीं कटते
© Siddharth Tripathi ✍ SidTree