परिभाषाएं बदल रही हैं, पैमाने टूट रहे हैं, नई हवा को स्वीकार करने के लिए खिड़कियां खुल रही हैं, DNA बदल रहा है। कुछ महीने पहले एक नये स्पीकर का विज्ञापन देख रहा था, और उसमें इस्तेमाल किए गये संगीत ने मेरा ध्यान खींचा। बार बार एक शब्द की आवृत्ति थी, और वो शब्द था DNA.
गाने का नाम भी DNA है इसका Original Link और ये पांच लाइनें पढ़कर आपको एक अंदाज़ा मिल जाएगा।
I got, I got, I got, I got
Loyalty, got royalty inside my DNA
I Got war and peace inside my DNA
I got power, poison, pain, and joy Inside my DNA
I got hustle though, ambition, flow Inside my DNA
मैं जिस न्यूज़ शो को रोज़ बनाता हूं उसका नाम भी DNA है, इसलिए इस गाने के प्रति दिलचस्पी बढ़ गई। एक बार को ऐसा लगा जैसे मेरे ही शो के लिए कोई स्पेशल गाना तैयार किया गया है। ख़ैर थोड़ी देर बाद पता चला कि ये गाना Kendrick Lamar के Album DAMN. के 14 गानों में से एक है। और इसी एल्बम के लिए 30 साल के इस गायक, लेखक और Rapper को हाल ही में पुलित्ज़र पुरस्कार मिला है।
Kendrick Lamar का नाम शायद आपने नहीं सुना होगा। वैसे भारत में ये नाम सुनना और जानना ज़रूरी नहीं है, ये किसी कोर्स का हिस्सा नहीं है, इससे किसी को नौकरी नहीं मिलेगी और ना ही इस पर कोई राजनीति हो सकती है। भारत में सिर्फ एक या दो नाम याद करके सबका काम चल जाता है। लेकिन सांस्कृतिक बदलाव और खुलेपन के लिहाज़ से ये एक बड़ी घटना है। मन में दूर दूर तक ये ख्याल नहीं आता कि संगीतकारों को भी पुलित्ज़र पुरस्कार मिल सकते हैं। केंड्रिक लमार पहले ऐसे हिप-हॉप आर्टिस्ट हैं जिन्हें ये पुरस्कार मिला है। इससे पहले ये पुरस्कार संगीत के बहुत ही सीमित दायरे में दिए गये हैं।
पुलित्ज़र बोर्ड ने इस एल्बम के बारे में लिखा है –
A virtuosic song collection unified by its vernacular authenticity and rhythmic dynamism that offers affecting vignettes capturing the complexity of African-American life.
Full Details / पुरस्कार की पूरी जानकारी
इससे पहले 2016 में Bob Dylan को साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था। इन दोनों घटनाओं को मैं एक बहुत बड़ा बदलाव मानता हूं। साहित्य और रचनात्मक कलाओं को जिन सीमाओं में बांधा और बांटा गया था। अब वो सारी सीमाएं टूट रही हैं।
लेखक, संगीतकार, पेंटर, विचारक, फिल्म मेकर, वैज्ञानिक – रचनात्मक लोगों की ये सारी जातियां और प्रजातियां असल में आपस में मिली हुई हैं। लेकिन तरह तरह के पुरस्कार और तमगे इन्हें अलग अलग कर देते हैं। ये लकीरें अब मिट रही हैं। जीवन के अलग अलग क्षेत्रों के कलाकारों को रेखांकित करने का चलन शुरू हुआ है
संगीत का कोई रंग नहीं होता, वो सिर्फ महसूस होता है, कभी पानी जैसा गीला, कभी रेत जैसा खुरदरा, कभी धातु जैसा धारदार और कभी हरी घास जैसा नर्म भी। लेकिन इस बार के पुलित्ज़र ने संगीत के अश्वेत रंग को रेखांकित किया है। ये संगीत की श्वेत-श्याम राजनीति है जो कला क्षेत्र के लिए बड़े अर्थों और मायनों में अच्छी है। हां.. राजनीति अच्छी भी हो सकती है, बशर्ते वो ऐसे लोगों / विषयों / संघर्षों के लिए मौके लाती हो, जिन्हें पहचान नहीं मिलती।
© Siddharth Tripathi ✍ SidTree