सबको Iron Man बनना है, पूरा का पूरा लोहे से बना हुआ, लेकिन इतना लौह अयस्क है नहीं इंसान की हड्डियों में। मोम से भी तेज़ पिघलते हैं हम, ज़िंदगी की तपिश में।
संग्रहालय में स्थिर मुस्कानों
और भंगिमाओं की सज्जा वाले
मोम के पुतले
दिखते हूबहू इंसान जैसे
बता देते हैं
कि कितना नाज़ुक है इंसान होना
पुतले खड़े रहते हैं
पर इंसान पिघल जाते हैं
ज़रा से ताप से
© Siddharth Tripathi ✍ SidTree