उसने कहा –
अब रुलाएँगे क्या ?
उसके ‘उन्होंने’ कहा –
इन आंसुओं को बचाकर रखो..
किसी दिन फूल खिलाने के काम आएंगे…
एक दिन आएगा
जब खारे पानी से सींचे गये फूल उगा करेंगे।
और उनकी खुशबू नमकीन हुआ करेगी…
समंदर को शहर में बुलाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी उस रोज़…
तब हर शहर मुंबई होगा
मेरा शहर हो या तुम्हारा शहर,
आंसुओं का मारा खारा शहर !
© Siddharth Tripathi ✍ SidTree
आपके लिखने की कला बहुत ही पसंद आती है सर। 🙏
“उसके ‘उन्होंने’ कहा” ..! Nice Sir!👌