Likes & Retweets : इंतज़ार

तस्वीरों में शोक और हर्ष स्थिर हो जाता है
संवेदनाएँ ठिठक कर खड़ी हो जाती हैं
और थोड़ी ज़्यादा साफ़ दिखती हैं
जैसे किसी प्रागैतिहासिक रत्न में कीट जम जाते हैं
और वो जीवन और मृत्यु के बीच की लकीर मिटाकर
खुद को निहारे जाने का इंतज़ार करते रहते हैं

सुना है अब तस्वीरें बादलों में रहती हैं
क्या उनमें क़ैद चेहरों..
और चेहरों में छिपी असली संवेदनाओं को
कोई देख पाता होगा ?
क्या इन्हें किसी Like और Retweet का इंतज़ार है ?

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  1. अ-सामाजिक कविताओं की सीरीज़ से, इस Theme पर कुल मिलाकर 8 कविताएँ हैं