ये एक छोटी सी कविता है, जिसमें हमसफ़र आपकी यात्रा का साक्षी है। सुनना, सुन पाना और सुन लेना भी प्रेम ही है। किसी की बातों की किरचों को और यात्रा के छालों को, दिल की रूई में सोख लेना भी एक अग्नि परिक्रमा के समान है।
शुक्रिया वो मुझे सहता रहा,
बुरे वक़्त में साथ बहता रहा,
मेरे अंदर कितना कुछ था कहने को,
उसे सामने बैठाया..कहता रहा
© Siddharth Tripathi ✍️SidTree
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