Core Thought / मूल विचार : कई बार हमारे घर, अंतरिक्ष के निर्वात की तरह प्रतीत होते हैं, हमारे आसपास की दुनिया एकदम खाली लगती है जिसमें हवा की भी जगह नहीं होती.. जबकि मन में हमेशा लोगों की और विचारों की भीड़ लगी रहती है। मन में कतारें लगी हैं और घर, आगंतुक की आहट को तरस रहा है.. सही मायने में यही जीवन का Vaccum यानी निर्वात है।
आसमान में बादल टकराए
लाइट चली गई
हमने जल्दी से अंधेरा ओढ़ लिया था
मगर कुछ सवाल फिर भी भिगो रहे थे
माहौल में इतनी नमी है
तो इंसानों में क्यों नहीं ?
बे मोहब्बत जिस्म
कहाँ जाते होंगे?
अकेली रूहें
क्या कहीं बैठकर
सिगरेट पीती होंगी ?
पर्दे हिल रहे थे
पियानो बज रहा था
तभी बग़ल में बैठा कुत्ता
भौंकने लगा
पैर चाटने लगा
लाइट आ गई
इसी के साथ
ये एहसास भी आ गया
कि घर में कोई नहीं है
मन में कितना कुछ है
घर में कोई नहीं है
© Siddharth Tripathi *SidTree | www.KavioniPad.com, 2016.
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