विजयदशमी पर एक आध्यात्मिक रिसर्च नोट

राम और रावण के बीच दिशा का फ़र्क़ है, मेरी कामना है कि आप सदैव सत्य की दिशा को चुनें। इस दौर में रावण देखने के लिए कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है, रावण आपके आसपास है, हो सकता है आपके मन के अंदर भी कोई रावण, पार्टी कर रहा हो। उसके अट्टहास को सुनिए.. वो कहेगा कि ‘पार्टी यूँ ही चालेगी’.. लेकिन आप उसके घमंड का समारोह जब चाहे बंद कर सकते हैं और उसे काम पर लगा सकते हैं, रावण और उसकी प्रवृत्तियां अगर आपकी सेवक बन जाएँ, और उनकी दिशा सकारात्मक हो, तो बहुत उपयोगी साबित हो सकती हैं।

विजयदशमी की शुभकामनाएं

Happy Dussehra to all from SidTree