Another one in #Azaadi Series. Core Thought is “Freedom from eyes that look like Black Roses”

गुलदस्ता जला देने पर
कोई मुक़द्दमा तो दर्ज नहीं हुआ
लेकिन उसे हर बार हँसते हुए
अंदर कुछ जलता हुआ महसूस होता था
राख के कण
लाल हो चुकी, आँखों की गीली सतह पर बैठते जा रहे थे
आँखों में आग और सतह पर राख
ये धधकते हुए काले गुलाब हैं
इनसे किसी को ज़िंदा जलाए जाने की दुर्गंध आती है
हमें इन काले गुलाबों से ‘आज़ादी’ चाहिए
© Siddharth Tripathi *SidTree | www.KavioniPad.com, 2016.