This Poem was written earlier but somehow Coins Chinked today and this poem surfaced!
एक जेब में तीन सिक्के रहते थे
एक दो रूपये का सिक्का
और दो एक रुपये के सिक्के
अपनी अपनी हैसियत का प्रदर्शन करते करते
ये तीनों सिक्के आपस में
टकराते थे
खनकते थे
दो खेमे बन गए थे इनके बीच
साथ रहते रहते
एक रुपये के सिक्कों को ये पता ही नहीं चला
कि उनकी साझा हैसियत
दो रुपये के सिक्के के बराबर है
© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree