जल पर आज रोशनी ने घरौंदा बनाया है
अब वो ठंडे ठंडे जल पर रहेगी
लहर-लहर आशिकी होगी
होगा कथक… साल्सा.. टैंगो
वो जलेगी धक-धक… मस्त-मस्त
फिर फुलझड़ी सी घूमी
तो थक कर लेट जाएगी…
ज़ुल्फ की जलतरंग को
लहर पर छोड़ कर
आज जल में होगी आतिशबाज़ी
और रोशनी
पूरी रात पानी पर ग़ज़लें लिखेगी
वो गज़लें, जो कभी पढ़ी नहीं जाएंगी
सिर्फ देखी और महसूस की जाएंगी
© Siddharth Tripathi *SidTree | www.KavioniPad.com, 2016.