…and then comes a Strange morning, which changes everything.
हल्के लम्हों का गुच्छा सा
जिसके साये में सब
महफूज़ था
कुछ यूं उड़ा
गायब हुआ
कि
तेज़ाबी धूप आ गई
आंसू अंगारे धधक उठे
अजनबी सुबह आ गई
फिर आईना देखा गौर से
तो सच से मुलाक़ात हुई
अब तो समझ जाओ
वो नहीं बदली
बस ख़ास हुई
© Siddharth Tripathi *SidTree | www.KavioniPad.com, 2016.