This poem talks about antigravity of tears (when tears flow in opposite diection) and how this helps to take right decisions & do justice in life. I also made a digital painting for this. Hope you would like it

कुछ पौधों को पानी की नहीं आँसुओं की ज़रूरत होती है
पराई आँखों से बहने वाले आँसू सोखकर
इन पौधों के पत्ते और गहरे हरे हो जाते हैं
इनकी कोपलें तेज़ी से रंग बिरंगे फूलों में बदलने लगती है
इसलिए मेरे आँसू अब अंदर की तरफ़ बहते हैं
उलटी दिशा में बहने वाला खारा पानी
दिल और दिमाग़ के कोनों को
तेज़ाब की तरह गलाता हुआ गुज़र जाता है
फिर अंदर कोई मोह नहीं रहता
दिल और दिमाग़ के कमरों में घूमने वाले विचार
हर पूर्वाग्रह से मुक्त होते हैं
और वहाँ के माहौल में न्याय की रोशनी होती है
सही मायनों में न्याय तभी होता है
© Siddharth Tripathi *SidTree | www.KavioniPad.com, 2016.