प्रश्नPoetry 8 – सपने में तैरती सत्य की लाश

Another installment of प्रश्नPoetry (Question Poetry). This one talks about ironical fusion of dream and truth.


कोई सपना अपना सा टूट जाए

तो आज की सच्चाई को आँखे खोलकर डुबो दूँ

एक एक सांस को तरसता वो सच मेरा-तुम्हारा
थोड़ी छटपटाहट के बाद
किसी मुर्दे की तरह सपने की सतह पर तैरने लगेगा
न कोई शुरुआत, न कोई अंत
सपने में घुलने लगेगा सत्य का मृत शरीर
और दोनों बहने लगेंगे एक साथ

क्या सपना कभी सच से आज़ाद हो सकता है ?


© Siddharth Tripathi and www.KavioniPad.com, 2015