क्या Martin Scorsese ने मेरी कविता पढ़ ली या फिर सारे रचनात्मक लोगों की सोच ब्रह्माण्ड में चलते फिरते टकराती रहती है ?
हाल ही में जारी हुआ Apple का iPad Air पर फिल्म बनाने वाला विज्ञापन देख रहा था, उसमें आवाज़ Martin Scorsese की थी और शब्द थे
“Painters, Dancers, Actors, Writers, Film Makers, its the same for all of you, and all of us…
Every step is the first step, Every brush stroke is a Test, Every Scene is a lesson and every Shot is a school”
ये उनकी 2014 की Tisch School of film making में दी गई स्पीच का एक छोटा सा हिस्सा है जो Apple ने इस्तेमाल किया
जबकि 2013 में लिखे मेरे शब्द थे
कोई पेंटिंग देखते-देखते… रंगों में सनी हुई कहानियां दिखने लगती है
हर रंग एक चोट है… हवा चलती है… ब्रश रोता है… दर्द होता है
दुनिया भर की बदसूरती.. हृदय में घुसी कटार.. बन जाती है सितार
जब दम घुटता है.. आवाज़ भीग जाती है…और जन्म लेता है संगीत
गुस्से में जल रहा मन.. कई बार शब्दों को पिघला देता है
और पिघले हुए शब्द करुणा के सांचे में जमकर बन जाते हैं कविता
आपके आसपास कोई गरीबी, तंगहाली का जश्न मना रहा है
कोई खुद पर फेंके गए पत्थरों से.. छोटा सा घर बना रहा है
जगह जगह से सड़ती-गलती दुनिया को रहने लायक बना देते हैं
ये सब Artist हैं.. सृष्टि के रचयिता…
हालांकि दोनों के बीच एक फासला है, लेकिन तब भी Scorsese जैसे Genius के साथ Siddharth के विचारों का घास के एक ही मैदान पर नंगे पांव चलना.. अच्छा लगा