आज़ाद आवाज़ on BBC’s Banned Documentary India’s Daughter (Hindi)

BBC की डॉक्यूमेंट्री India’s Daughter पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं देखने सुनने को मिलीं, ये डॉक्यूमेंट्री मैंने भी देखी है, मुझे लगता है कि मुकेश सिंह के इंटरव्यू के बगैर भी काम चल सकता था, या फिर महिलाओं पर टिप्पणी वाले कुछ हिस्सों को एडिट किया जा सकता था.. बाकी दोनों वकीलों की बात करें तो वो खुद ही अपनी ज़ुबान से Expose हो गए..
डॉक्यूमेंट्री अच्छी बन गई है और ये एक बॉलीवुड मसाला फिल्म की तरह चालाकी से घटनाक्रमों को जोड़ती है, हालांकि इसे बनाने की पूरी प्रक्रिया में थोड़ा और संवेदनशील होने की ज़रूरत थी, थोड़ी सी ईमानदारी बरतने की ज़रूरत थी। एक जगह मुकेश सिंह बोलता है कि दारू ज़्यादा हो गई थी..तो हमारे बीच बात चल रही थी कि जीबी रोड चलते हैं वहां गलत काम करते हैं.. फिर कैमरे में जीबी रोड की लड़कियों का फ्रेम आता है और इसके तुरंत बाद, निर्भया की मां का बाइट जिसमें वो कह रही है कि बहुत खुश थी घर आकर। ऐसे ही कई बार मुकेश अपने कुकर्म को बयां कर रहा होता है और फिर उसकी उन बातों पर निर्भया की मां के आंसू या पिता का बुझा हुआ चेहरा दिखाए जा रहे होते हैं, मुझे कुछ जगहों पर ऐसा भी महसूस हुआ कि मुकेश सिंह की बातों का प्रभाव बढ़ाने के लिए निर्भया के मां बाप का इस्तेमाल किया जा रहा है.. जबकि होना इसका उल्टा चाहिए था। सवाल ये है कि Leslee Udwin ने मुकेश सिंह से सिर्फ घटना का विवरण, उसका जीवन परिचय और उसका वैचारिक कूड़ा ही क्यों लिया, कोई ऐसा सवाल क्यों नहीं पूछा जिससे उसे शर्मिंदा किया जा सकता हो?
पूरी डॉक्यूमेंट्री में एक बड़े हिस्से का Narration मुकेश सिंह की ज़ुबानी हुआ है.. इसमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन भारतीय महिलाएं कैसी होती हैं, उन्हें बलात्कारी के सामने सरेंडर कर देना चाहिए..इस सोच के प्रदर्शन की ज़रूरत नहीं थी.. ये न भी होता तो काम चल जाता, ज़रूरी नहीं है कि हर सच को फूहड़ता से दिखाया ही जाए, महिलाओं के बारे में सोचा तो और भी बहुत कुछ जाता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो सब कुछ लिख दिया जाए, टीवी पर प्रसारित कर दिया जाए। Lesley Udwin की पूरी डॉक्यूमेंट्री में 16 दिसंबर की रात जो कुछ हुआ उसे ही समेट कर दिखाया गया है, और इसमें वीभत्स से वीभत्स विवरण दिए गए हैं वो भी उस बलात्कारी की ज़ुबानी जो विवरण देने के साथ साथ ये कह रहा है कि लड़कियों को बलात्कार का विरोध नहीं करना चाहिए, इसका नाम India’s Daughter के बजाए India’s Rapist रखा जा सकता था
ऐसी ख़बरें भी है मुकेश सिंह ने इंटरव्यू देने के लिए दो लाख रुपये मांगे थे और फिर बीबीसी की टीम ने 40 हज़ार देकर मामला फिक्स किया, मुकेश सिंह के परिवार को ये पैसे दिए गए हैं
जिन शर्तों पर डॉक्यूमेंट्री शूट हुई, उनका पालन नहीं हुआ, भारत सरकार ने प्रतिबंध लगाया, न दिखाने की गुज़ारिश की, लेकिन बीबीसी नहीं माना, एक देश की सरकार अगर ये कह रही है कि आप डॉक्यूमेंट्री न दिखाएं.. तो संवेदनशील होकर इस बात की लाज रख लेने में क्या हर्ज़ है?
कोई मां के पेट से बलात्कारी बनकर नहीं निकलता, इसमें परिवेश का कितना दोष है, ये भी इस डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है जो कि अच्छा है, लेकिन कहीं ये भी कहना चाहिए था कि परिवेश खराब होने का मतलब ये नहीं है कि आपको अपराध का लाइसेंस मिल गया। डॉक्यूमेंट्री में सारे भारतीय समाज को एक ही चश्मे से देखा गया है, इस चश्मे को उतारकर फेंके बगैर सही तस्वीर सामने नहीं आ सकती
Leslee Udwin की डॉक्यूमेंट्री में भारतीय महिलाओं पर एक बलात्कारी का ज्ञान आपको कैसा लगा ? कृपया बताएं। साथ ही ये भी सोचें कि क्या आप भी बलात्कारी को मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सही मानते हैं? क्या दाऊद इब्राहिम को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी जा सकती है ? वो भी भारतीय समाज का ही प्रोडक्ट है