घड़ी की सुई को पकड़कर लटके हुए लोग
एक गोलाकार रास्ते पर चलते हुए जीवन जीते रहते हैं
जो घड़ी की रफ़्तार है
वही इन लोगों की रफ़्तार है
जो घड़ी की सुइयों की दिशा है
वही इन लोगों की दिशा है
इस सफ़र में
घड़ी की सुइयों से
लम्हे कटते जाते हैं
छोटे होते जाते हैं
फिसलते जाते हैं
क्या वाकई वक़्त इन लोगों की मुठ्ठी में रहता है ?
या फिर घड़ी एक ताला बन जाती है ?
© Siddharth Tripathi and www.KavioniPad.com, 2015