मेरे आगे नाचती हुई वसंत की हवा, बालकनी पर लोहे की छड़ों को पकड़कर झूला झूलती बारिश की बूंदें, पीछे रवि शंकर का सितार वादन, और कहीं दूर से आती
मां के खांसने की आवाज़, क्या दर्द और खुशी की धुनें, एक दूसरे का हाथ पकड़कर उत्सव मना सकती हैं ?
© Siddharth Tripathi and www.KavioniPad.com, 2015