Series of Prose.. each one ends with a question.
नज़र ऊंची
पैर को उचककर देखने की आदत
आजकल मेरे ख़्वाबों का सिर.. छत से टकराने लगा है
क्या छतों के नीचे ख्वाब बड़े नहीं हो सकते ?
या फिर एक वक़्त के बाद
ऊंचा होने के बजाए ख़्वाबों का फैलना ठीक रहेगा ?
© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree, 2015