A Poem that says a lot of things through that fancy Necktie. Its something which holds me, you, our individuality, our Melancholy. Read this poem and see the world around, and tell me what you would feel through comments form at the bottom.
मेरे दर्द में और किसी मज़दूर के दर्द में कोई फर्क नहीं है
मेरे डर बिलकुल तुम्हारे जैसे ही हैं
मेरे भी पैर कांपते हैं कुछ नया शुरू करते हुए
हर रोज़ जीतने के लिए दौड़ते दौड़ते
मैं भी लड़खड़ाता हूं
मेरा चरमराया हुआ आत्मसम्मान
मेरी दुखती हुई एक एक रग
तब भी मेरे साथ होती है
जब मैं पूरी शिफत से बेच रहा होता हूं खुद को
अलग अलग दुकानों पर
लेकिन मैं कुछ भी बाहर नहीं आने देता
सब कुछ बांधकर रखता हूं
मेरी गर्दन के आसपास बंधी टाई
मेरी उड़ान को रोक लेती है
मेरी गर्दन झुकती नहीं… टूटती नहीं
न जाने कहां से आत्मविश्वास की बिजली का एक खंबा
मेरे अंदर आकर गड़ जाता है
और टाई पहन कर मैं साहब हो जाता हूं
खुद को साधकर हासिल हुई ये कामयाबी अच्छी लगती है
लेकिन जैसे ही दुनिया के रंगमंच से उतरकर
बैठता हूं, टाई ढीली करता हूं
बहुत कुछ उड़ने लगता है
अंदर से बाहर की तरफ
© Siddharth Tripathi, Kavionipad.com, 2016