Remembering 26/11 Terror attacks of Mumbai
जब दो जोड़ा आंखें.. सपने बुन रही थीं..
समंदर चुप था
‘चिल्लर’ की भूख,
मवाली का दबदबा
दारू की मस्ती
रिश्वतखोर ख़ाकी
बेईमान टोपी
सब देखता था समंदर
पर चुप रहता था
लेकिन बीती रात
समंदर ने सुनी
एक शहर की ख़ामोशी
देखी कैमरों की भीड़
चिकने चुपड़े लोग
सिर के बजाय मुंह ढकती टोपियां
और देखा
जलता हुआ एक सुर्ख फूल
वहीं किनारे पर
गोलियों से उधड़े मन
बयान दे रहे थे
और
चुपचाप सबकुछ सुनने वाला
समंदर उबल रहा था
© Siddharth Tripathi ✍️ SidTree