Nirvana of Infotainment
अपने अंधेरों से मैं गले मिलता हूं फुलझड़ी जलाकर.. आगे बढ़ता हूं ऐसा रोज़ होता है.. तो क्या हुआ अब मैं भी… ऐसा रोज़ करता हूं